रांची :- 19 जून सोमवार को ट्राइबल इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स इन इंडस्ट्री झारखंड चैप्टर के द्वारा नेशनल एससी- एसटी हब, एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार,रांची कार्यालय एवं होडोपैथी एथनोमेडिसिन डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (HEDAN) के सहयोग से जेसिया भवन, कोकर,रांची में होडोपैथी एथनोमेडिसिन एवं इनकी व्यापारिक संभावनाएं पर एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में माननीय केंद्रीय मंत्री आदिवासी मामले श्री अर्जुन मुंडा जी उपस्थित हुए l इनके अलावा नेशनल एससी- एसटी हब के राज्य प्रमुख श्रीमती किरण मारिया तिरु, अधिकारी प्रिंस राहुल एवं टिक्की के कन्वेनर डॉ.वासवी कीड़ों के अलावा काफी संख्या में प्रतिनिधि, ट्राइबल मेडिसिन के जानकार एवं कई कॉलेजे के प्रोफेसर गण मौजूद थे। कार्यक्रम का उद्देश्य आदिवासियों की पुरानी पद्धति होडोपैथी के प्रति लोगों को जागरूक करना एवं इनके व्यापारिक पहलुओं को भी प्रकाश में लाना था। वर्तमान समय में भारत सरकार इस दिशा में काम कर रही है।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित माननीय केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा जी ने कहा कि आदिवासियों की पुरानी चिकित्सा पद्धति होडोपैथी बहुत ही कारगर है। कोरोना काल में इस चिकित्सा पद्धति ने अपनी विशेषताओं को बखूबी सिद्ध किया l अन्य चिकित्सा पद्धति के अलावा आदिवासियों की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति को भी भारत सरकार बढ़ावा देने का काम कर रही है। इसी दिशा में पहल करते हुए कई कार्य हो चुके हैं और इस पर कार्य जारी है झारखंड आदिवासी बहुल राज्य होने के कारण यहां भी बहुत सारे अनुभवी लोग इस चिकित्सा पद्धति को जीवित रखे हुए हैं और गांव में इसी पद्धति से आज भी इलाज जारी है। इसे वैश्विक करने की आवश्यकता है इसी दिशा में आज का कार्यक्रम भी समर्पित है। इसके अलावा इससे जुड़े कई व्यापारिक संभावनाएं भी पैदा होंगे जिससे सीधे तौर से आदिवासी समुदाय को फायदा मिलेगा। वर्तमान समय में जहां नौकरी की संख्या कम हो रही है इस परिस्थिति में आदिवासी समुदाय को भी उद्योग व्यापार से जोड़ने की आवश्यकता है और इसके लिए भारत सरकार द्वारा नेशनल एससी- एसटी हब की स्थापना की गई है l और यह संस्था पूरे देश में बेहतर कार्य कर रही है l माननीय मंत्री जी ने कहा कि सिकल सेल एनीमिया से लड़ने के लिए ट्राइबल मेडिसिन का प्रयोग कारगर सिद्ध होगा। उन्होंने नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एथनोमेडिसिन की स्थापना एवं एक वृहद लेबोरेटरी बनाने की भी बात कही। वही विभिन्न कॉलेजों से आए हुए प्रोफेसर गण ने भी अपनी अपनी अनुभव साझा किया एवं ट्राईबल मेडिसिन को वैश्विक बनाने के लिए इसके महत्व के साथ-साथ सुझाव भी दिए।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ अजय श्रीवास्तव, विभाग अध्यक्ष बॉटनी, सेंट जेवियर कॉलेज एवं डॉ रश्मि, डॉ रामजी यादव, चेयर पर्सन, वाई बी एन यूनिवर्सिटी, सलोनी सोरेन ट्राइबल मेडिसिन एक्सपर्ट, दुमका, क्लाइमेट चेंज फाउंडेशन से हेमा मुंडा,रितु कुजुर, अमन तिर्की, ट्राईबल मेडिसिन के जानकार उड़ीसा से आए हुए उरांव, पीयूष कंड्डूलना, खूंटी से आए हुए ट्राईबल मेडिसिन के जानकार मंगरा मुंडा, सावित्री मुंडा, जूनेल सोए, धनिक गुड़िया इत्यादि मौजूद थे।