तिरुवनंतपुरम: केरल में पिछले कुछ महीनों से एक दुर्लभ लेकिन जानलेवा संक्रमण ने स्वास्थ्य विभाग और आम जनता दोनों को सतर्क कर दिया है। इस संक्रमण की वजह है ‘दिमाग खाने वाला अमीबा’ यानी नेग्लेरिया फाउलेरी (Naegleria fowleri), जो प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) नामक रोग का कारण बनता है। अब तक राज्य में कम से कम 19 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें कई बच्चे भी शामिल हैं।
क्या है यह घातक संक्रमण?
यह संक्रमण मस्तिष्क की झिल्लियों (मेनिन्जेस) पर हमला करता है और बेहद तेजी से फैलता है। नेग्लेरिया फाउलेरी से होने वाला PAM लगभग 90% से ज्यादा मामलों में जानलेवा साबित होता है। इसे ब्रेन-ईटिंग अमीबा यानी दिमाग खाने वाला अमीबा कहा जाता है, क्योंकि यह सीधे मस्तिष्क को नष्ट कर देता है।
संक्रमण कैसे फैलता है?
• यह अमीबा गर्म मीठे पानी जैसे तालाब, झील, नदी और खराब रखरखाव वाले स्विमिंग पूलों में पनपता है।
• पानी पीने से यह आमतौर पर हानिकारक नहीं होता।
• लेकिन अगर पानी नाक के जरिए दिमाग तक पहुंच जाए, तो यह जानलेवा संक्रमण में बदल जाता है।
लक्षण कितने खतरनाक?
संक्रमण बेहद तेजी से बढ़ता है।
शुरुआती लक्षण: तेज सिरदर्द, बुखार, उल्टी और गर्दन में अकड़न।
कुछ ही दिनों में: दौरे पड़ना, भ्रम की स्थिति और कोमा।
नतीजा: आमतौर पर एक से दो हफ्ते में मौत।
डॉक्टरों का कहना है कि इसे कई बार बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस समझ लिया जाता है। सही कारण का पता लगने तक इलाज मुश्किल हो जाता है।
बचाव ही सबसे बड़ा उपाय
विशेषज्ञों का मानना है कि इस संक्रमण का कोई पुख्ता इलाज उपलब्ध नहीं है, इसलिए रोकथाम ही सबसे कारगर उपाय है।
गर्मी के मौसम में स्थिर या गंदे पानी में तैरने से बचें।
जरूरत पड़ने पर नाक क्लिप का इस्तेमाल करें, ताकि पानी भीतर न जा सके।
जल स्रोतों का नियमित रखरखाव और सफाई बेहद जरूरी है।
जलवायु परिवर्तन से बढ़ रहा खतरा
वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन भी इस संक्रमण के फैलाव में अहम भूमिका निभा रहा है। बढ़ते तापमान में यह अमीबा तेजी से बढ़ता है। गर्मियों में लोग नदियों और झीलों में स्नान या तैराकी करते हैं, जिससे संक्रमण का जोखिम और ज्यादा हो जाता है।
अब क्या करना जरूरी है?
केरल में हाल की घटनाओं ने स्पष्ट कर दिया है कि PAM भले ही दुर्लभ हो, लेकिन इसकी मौत दर बेहद डरावनी है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि –
सरकार को सुरक्षित जल प्रबंधन पर और ध्यान देना होगा।
आम नागरिकों को जागरूकता और सतर्कता को अपनी आदत बनाना होगा।
बदलते मौसम और जलवायु परिस्थितियों के बीच सामुदायिक सहयोग ही इस चुनौती से निपटने का सबसे बड़ा हथियार है।
केरल में दिमाग खाने वाले अमीबा से दहशत, अब तक 19 लोगों की मौत, जानें इस बीमारी के लक्षण और बचाव के उपाय

