कैलिफोर्निया: पाकिस्तान और अमेरिका के बीच रिश्तों को लेकर एक सनसनीखेज दावे ने सुर्खियां बटोर ली हैं। पूर्व सीआईए अधिकारी जॉन किरियाको ने एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा है कि पाकिस्तान का परमाणु शस्त्रागार एक समय अमेरिका के नियंत्रण में था और इसके पीछे मुख्य भूमिका पाकिस्तान के तत्कालीन आर्मी चीफ और राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ की थी। किरियाको ने दावा किया कि मुशर्रफ ने ही पाकिस्तान का परमाणु बम अमेरिका के हवाले कर दिया था।
किरियाको, जिन्होंने CIA में करीब 15 वर्षों तक कार्य किया और पाकिस्तान में अमेरिका के आतंकवाद विरोधी अभियानों का नेतृत्व किया, ने इंटरव्यू में वॉशिंगटन की विदेश नीति और दोगले रवैये की भी तीखी आलोचना की। उन्होंने बताया कि अमेरिका ने मुशर्रफ को लाखों डॉलर की आर्थिक सहायता देकर ‘खरीद’ लिया था और इस योगदान के बदले मुशर्रफ ने अमेरिकी एजेंसियों को पाकिस्तान के सैन्य व खुफिया ढांचे तक लगभग असीमित पहुंच दे दी।
“हमने मुशर्रफ को खरीद लिया था और उन्होंने हमें पाकिस्तान के सुरक्षा ढांचे में खुली पहुंच दे दी,”- जॉन किरियाको (एएनआई इंटरव्यू के हवाले)
किरियाको ने कहा कि उस दौर में पाकिस्तानी नेतृत्व ने दोहरे मानक अपनाए, जहां एक तरफ पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ आतंकवाद-रोधी सहयोग का दिखावा किया, वहीं दूसरी ओर भारत के खिलाफ घातक और अनधिकृत गतिविधियाँ जारी रखी गईं। उन्होंने आरोप लगाया कि पाक सेना को अल-कायदा जैसी समूहों से ज्यादा भारत की परवाह थी और मुशर्रफ अमेरिका के सामने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग दिखाते हुए पीछे से भारत-विरोधी कार्रवाइयाँ बढ़ाते रहे।
A.Q. खान और सऊदी दखल
इंटरव्यू में किरियाको ने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान (A.Q. Khan) के साथ अमेरिका के संभावित कदमों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि एक समय अमेरिका ने A.Q. खान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने पर विचार किया था। यहां तक कि ‘इजरायली तरह’ का ऑप्शन भी चर्चा में था लेकिन सऊदी अरब के सीधे हस्तक्षेप ने इस योजना को रोका। किरियाको के अनुसार सऊदी ने अमेरिका से कहा कि वे खान को छोड़ दें क्योंकि वे उसके साथ काम करना चाहते हैं और उसे महत्व देते हैं; इसके बाद व्हाइट हाउस ने सीआईए और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को खान के खिलाफ कार्रवाई न करने का निर्देश दिया।
किरियाको ने इस निर्णय को बड़े नीतिगत घोटाले के समान बताया और कहा कि यह एक भारी भूल थी।
दावे और उनकी सीमा
इन खुलासों में कई गंभीर आरोप हैं, जिसमें एक देश का परमाणु शस्त्रागार किसी अन्य देश के नियंत्रण में होने का दावा भी शामिल है। ये सभी बातें जॉन किरियाको के बयानों पर आधारित हैं, जो उन्होंने एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहीं।













