नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार (13 जुलाई, 2025) को चार हस्तियों को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। इनमें वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम, पूर्व राजनयिक हर्ष श्रृंगला, इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन और समाजसेवी सी. सदानंदन मस्ते के नाम शामिल हैं।
उज्जवल निकम
उज्ज्वल निकम देश के जाने-माने विशेष सरकारी वकीलों में गिने जाते हैं, जिन्होंने कई हाई-प्रोफाइल और आतंकवाद से जुड़े मामलों में प्रभावशाली भूमिका निभाई है। उनका करियर 1991 में कल्याण बम विस्फोट मामले से सुर्खियों में आया, जिसमें उन्होंने मुख्य आरोपी रविंदर सिंह को दोषी ठहराने में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद 1993 के मुंबई सिलसिलेवार बम धमाकों के केस में उन्हें राज्य सरकार की ओर से विशेष सरकारी वकील नियुक्त किया गया, जो उनके करियर का बड़ा मोड़ साबित हुआ। निकम ने टाडा (TADA) अदालत में 14 साल से अधिक समय तक सेवाएं दीं और आतंकवाद से जुड़े मामलों में अभियोजन का नेतृत्व किया। उनका सबसे चर्चित मामला रहा 2008 का 26/11 मुंबई हमला, जिसमें उन्होंने पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब के खिलाफ राज्य सरकार का पक्ष मजबूती से रखा। बाद में निकम ने खुलासा किया कि कसाब द्वारा जेल में मटन बिरयानी की मांग वाली बात उन्होंने जानबूझकर मीडिया के सामने फैलायी थी ताकि जनता के गुस्से को सही दिशा मिल सके। यह बयान लंबे समय तक चर्चा में रहा।
हर्ष श्रृंगला
संसद के ऊपरी सदन जाने वाले हर्षवर्धन श्रृंगला वरिष्ठ राजनयिक रहे हैं और वह 1984 के भारतीय विदेश सेवा (IFS) के अधिकारी हैं। अपने 35 साल के लंबे करियर में हर्षवर्धन ने राजधानी नई दिल्ली समेत विदेश में कई अहम पदों पर काम किया है।
डॉ. मीनाक्षी जैन
डॉ. मीनाक्षी जैन मध्यकालीन और औपनिवेशिक भारत की एक प्रसिद्ध इतिहासकार हैं। वह दिल्ली यूनिवर्सिटी के गार्गी कॉलेज में इतिहास की पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर, नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी की पूर्व फेलो और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की शासी परिषद की पूर्व सदस्य हैं। वह वर्तमान में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Social Science Research) की सीनियर फेलो हैं। साल 2020 में डॉ. मीनाक्षी जैन को उनके योगदान के लिए भारत सरकार से पद्मश्री पुरस्कार मिला।
सी. सदानंदन मस्ते
सी. सदानंदन मस्ते शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में दशकों से कार्यरत हैं। उन्होंने विशेषकर वंचित वर्गों, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के बीच शिक्षा और सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा दिया है। उनकी छवि एक जमीनी स्तर पर काम करने वाले निष्ठावान कार्यकर्ता की है।