वडोदरा: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर वडोदरा के निकट साधली गांव में आयोजित ‘एकता मार्च’ की सभा में कई ऐतिहासिक दावे किए। उन्होंने कहा कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सार्वजनिक धन का इस्तेमाल कर अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण कराना चाहते थे, लेकिन इस योजना को सफल होने से रोकने वाले कोई और नहीं बल्कि सरदार पटेल थे।
सिंह ने सभा में बताया कि नेहरू ने यह सुझाव भी दिया था कि पटेल के निधन के बाद उनके स्मारक के निर्माण के लिए आम लोगों द्वारा एकत्रित धन का इस्तेमाल कुएँ और सड़कों के निर्माण में किया जाए। उन्होंने इसे असंगत और अनुचित बताया, क्योंकि ये काम सरकार की जिम्मेदारी थी।
रक्षा मंत्री ने कहा कि सरदार पटेल एक सच्चे उदारवादी और धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति थे, जो कभी तुष्टीकरण के पक्षधर नहीं थे। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जब नेहरू ने सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार का मुद्दा उठाया था, तो पटेल ने स्पष्ट किया कि यह एक अलग मामला है, क्योंकि सोमनाथ के जीर्णोद्धार के लिए धन आम लोगों के दान से एकत्र किया गया था और सरकार का एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ। इसी तरह, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का खर्च भी जनता ने वहन किया।
सिंह ने यह भी दावा किया कि पटेल प्रधानमंत्री बन सकते थे, लेकिन उन्होंने कभी किसी पद की लालसा नहीं दिखाई। 1946 में जब कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव होना था, तो अधिकांश सदस्य पटेल को अध्यक्ष चुनना चाहते थे। लेकिन महात्मा गांधी की सलाह पर पटेल ने नामांकन वापस ले लिया और नेहरू कांग्रेस अध्यक्ष बने।
उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक ताकतें पटेल की विरासत मिटाने की कोशिश करती रहीं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी अहम भूमिका से उन्हें इतिहास में फिर से स्थापित किया। सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि पटेल की विरासत को छुपाना उस समय की सरकार की नीयत थी।
सिंह ने नेहरू द्वारा पटेल को भारत रत्न न देने पर भी सवाल उठाया और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण को पटेल को उचित सम्मान देने वाला महत्वपूर्ण कदम बताया।
कश्मीर और हैदराबाद के विलय का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि अगर उस समय पटेल के सुझावों पर ध्यान दिया गया होता, तो भारत को कई समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता। उन्होंने कहा कि पटेल हमेशा संवाद के माध्यम से समाधान में विश्वास रखते थे, लेकिन जब आवश्यकता हुई तो कठोर निर्णय लेने में भी पीछे नहीं हटे।
राजनाथ सिंह के इन बयानों ने सरदार पटेल के योगदान और उनकी दूरदर्शिता को फिर से चर्चा में ला दिया है।
राजनाथ सिंह का बड़ा दावा, सरकारी पैसे से बाबरी मस्जिद बनवाना चाहते थे नेहरू, सरदार पटेल के आगे उनकी नहीं चली














