रांची: स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा 11 सितंबर 2025 को जारी अधिसूचना से गैर मान्यता स्कूलों को कोई राहत नहीं मिली है। इस पर झारखंड गैर सरकारी स्कूल संचालक संघ के केंद्रीय अध्यक्ष रामप्रकाश तिवारी ने गहरी निराशा जताई है।
तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कैबिनेट ने 2 सितंबर 2025 को झारखंड निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार द्वितीय संशोधन नियमावली 2025 को मंजूरी दी थी। इसी आधार पर शिक्षा विभाग ने 11 सितंबर को अधिसूचना जारी की। इसमें झारखंड हाईकोर्ट के 2 मई 2025 के फैसले के अनुसार शुल्क निर्धारण और फिक्स डिपॉजिट की अनिवार्यता को हटाया गया है। साथ ही जिला प्रारंभिक शिक्षा समिति के गठन और उपायुक्त की अध्यक्षता वाली समिति के माध्यम से मान्यता देने का प्रावधान किया गया है।
लेकिन विभाग ने मान्यता की अंतिम स्वीकृति निदेशक, प्राथमिक शिक्षा निदेशालय से लेने की बाध्यता जोड़ दी है। तिवारी का कहना है कि इससे मान्यता की प्रक्रिया और जटिल व विलंबित होगी तथा भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी बढ़ेगी।
संघ के केंद्रीय अध्यक्ष ने कहा कि सरकार की मंशा गैर मान्यता स्कूलों को सरल तरीके से मान्यता देने की नहीं है। CNT और SPT एक्ट के तहत सूचीबद्ध भूमि पर चल रहे स्कूल कैसे 30 वर्ष का लीज एग्रीमेंट करा पाएंगे? पहले से बने भवनों में 22×18 फीट के कमरे, खेल का मैदान, चारदीवारी जैसी व्यवस्थाएं कैसे संभव होंगी? जमीन खरीदने, नए भवन निर्माण और डीड रजिस्ट्री कराने का खर्च कहां से आएगा?
उन्होंने चेतावनी दी कि इन शर्तों से हजारों गैर मान्यता निजी स्कूल बंद होने की स्थिति में आ जाएंगे। इससे लाखों गरीब, आदिवासी, दलित, पिछड़े व अल्पसंख्यक बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे और हजारों शिक्षक-कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे।
रामप्रकाश तिवारी ने कहा कि अंतिम न्याय अब सुप्रीम कोर्ट से ही मिलेगा। हाईकोर्ट पहले ही कुछ नियमों को निरस्त कर राहत दे चुका है। संघ की ओर से जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की जाएगी, जिससे पूरी राहत मिलने की संभावना है।
गरीब, आदिवासी और अल्पसंख्यक बच्चों की शिक्षा खतरे में : रामप्रकाश तिवारी

