भुवनेश्वर: ओडिशा के पुरी में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार 46 वर्षों बाद रविवार को खुलेगा। आखिरी बार ये भंडार 46 वर्षों पहले यानि कि 1978 में खोला गया है। रत्न भण्डार को खोलने के लिए खास तौर पर एक कमेटी बैठाई गई। पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए भंडार खोलते समय और रत्नों की गणना के वक्त रिज़र्व बैंक के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे। राज्य सरकार आभूषणों और अन्य कीमती सामानों की सूची बनाने के लिए इस खजाने को 46 साल बाद खोल रही है। खजाने का इस्तेमाल मंदिर की मरम्मत के लिए किया जाएगा।
राज्य सरकार की गठित 16 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति ने रत्न भंडार को 14 जुलाई को खोलने की सिफारिश की थी। राज्य विधानसभा में 2018 में बताया गया था कि रत्न भंडार में 12831 तोले के स्वर्ण आभूषण हैं। इनमें कीमती रत्न जड़े हुए हैं और साथ ही 22153 तोले चांदी के बर्तन और अन्य सामान हैं।
स्नेक हेल्पलाइन और मेडिकल टीम होगी तैनात
ऐसा मानना है कि रत्न भंडार से सांपो की आवाज सुनाई पड़ती है। मान्यताओं के अनुसार ये सांप भगवान के रत्न भंडार की रक्षा करते हैं। बाद में किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े इसलिए कमेटी ने पहले से ही सांप पकड़ने वाले व्यक्तियों को बुला लिया है। इसके अलावा यदि किसी को चोट अथवा कोई दिक्कत आ जाती है तो मेडिकल टीम की तैनाती की गई है।
रत्न भंडार निगरानी समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ ने कहा कि अपराह्न में रत्न भंडार खोला जाएगा। कहा कि यदि चाबी से रत्न भंडार का ताला नहीं खुला तो ताला तोड़ा जाएगा। 1978 में खोले गए रत्न भंडार के आभूषणों की गणना में लगभग 72 दिन लगे थे। तकनीक की मदद से इस बार गणना कम समय में होने की उम्मीद है। इससे भगवान के दर्शन के समय में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।