नई दिल्ली: देश में क्षमताशाली और कम खर्चीली टीबी जांच के लिए एक नवीन स्वदेशी किट को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने मान्यता दी है। तेलंगाना की हुवेल लाइफसाइंसेज द्वारा विकसित की गई ‘क्वांटिप्लस एमटीबी फास्ट डिटेक्शन किट’ के जरिये एकसाथ 96 नमूनों की जांच बहुत कम समय में संभव हो सकेगी, जिससे जांच खर्च में लगभग 20 प्रतिशत की कमी आएगी।
टीबी जांच में बढ़ी सुविधा और बचत
टीबी जैसी संक्रामक बीमारी में समय और सटीकता दोनों अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। क्वांटिप्लस किट की खासियत है कि यह फेफड़ों की ट्यूबरकुलोसिस का पता लगाने वाला पहला ओपन सिस्टम आरटी-पीसीआर टेस्ट है, जो किसी भी पीसीआर मशीन पर चल सकता है। इसे प्रयोगशालाएं भारी खर्च वाले फिक्स प्लेटफॉर्म के बिना भी इस्तेमाल कर सकेंगी। इसका मतलब है कि देशभर के सरकारी अस्पतालों और जांच केंद्रों में बिना अतिरिक्त भारी निवेश के अधिक संख्या में टेस्ट किए जा सकेंगे।
तकनीकी उन्नति और विकेंद्रीकरण
आईसीएमआर की संचारी रोग विभाग की प्रमुख डॉ. निवेदिता गुप्ता के अनुसार, यह किट ट्रूनेट और पैथोडिटेक्ट जैसे पहले के उपकरणों के आधार पर अपग्रेड की गई है। इस उन्नयन से न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट (NAAT) का विकेंद्रीकरण आसान हो जाएगा, जिससे टीबी की जांच तेजी से और अधिक व्यापक स्तर पर हो सकेगी। यह सुविधा दवा-संवेदनशील तथा दवा-प्रतिरोधी दोनों प्रकार के टीबी रोगियों के प्रभावी उपचार में त्वरित फायदा पहुंचाएगी।
नई स्वदेशी नवाचार: यूनीएएमपी एमटीबी टेस्ट कार्ड
हुवेल लाइफसाइंसेज ने एक और नवाचार ‘यूनीएएम्प एमटीबी न्यूक्लिक एसिड टेस्ट कार्ड’ भी विकसित किया है, जिसे आईसीएमआर द्वारा मान्यता मिली है। यह परीक्षण थूक की बजाय लार (जीभ के स्वाब) से किया जाएगा, जिससे बुजुर्गों और बच्चों में टीबी जांच प्रक्रिया सरल और कम दर्दनाक होगी। पारंपरिक तौर पर थूक का नमूना लेने में जटिलताएं होती हैं, जो इस नए टेस्ट के जरिए काफी हद तक खत्म हो जाएंगी।
टीबी नियंत्रण में इस नवाचार का महत्व
टीबी संक्रमण को रोकने के लिए प्रभावित व्यक्ति के आसपास के लोगों की जांच अनिवार्य होती है, जिससे समुदाय में संक्रमण फैलने से रोका जा सके। क्वांटिप्लस किट और यूनीएएम्प टेस्ट कार्ड जैसे स्वदेशी उपकरण जांच की लागत कम करने के साथ ही देश में टीबी नियंत्रण की दिशा में नए आयाम स्थापित करेंगे।यह पहल न केवल सरकार की जांच क्षमताओं को बढ़ाएगी, बल्कि टीबी के प्रबंधन और रोकथाम में भी क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली मानी जा रही है।














