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नई दिल्ली: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत की। इस बातचीत में पुतिन ने पीएम मोदी को पिछले शुक्रवार को अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई अपनी मुलाकात की जानकारी साझा की। यह फोन कॉल अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के लिहाज से अहम माना जा रहा है, क्योंकि आज रात ही वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप यूरोपीय नेता वोलोदिमिर जेलेंस्की से मुलाकात करने वाले हैं।


प्रधानमंत्री मोदी ने इस बातचीत की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा करते हुए लिखा – “मेरे मित्र, राष्ट्रपति पुतिन को उनके फोन कॉल और अलास्का में राष्ट्रपति ट्रंप के साथ उनकी हालिया मुलाक़ात के बारे में जानकारी साझा करने के लिए धन्यवाद. भारत ने यूक्रेन विवाद के शांतिपूर्ण समाधान का लगातार आह्वान किया है और इस संबंध में सभी प्रयासों का समर्थन करता है. मैं आने वाले दिनों में हमारे निरंतर आदान-प्रदान की आशा करता हूं।”


भारत ने दोहराई शांति की अपील

मोदी ने यूक्रेन संघर्ष को लेकर भारत की पुरानी स्थिति को स्पष्ट किया और कहा कि विवाद का समाधान केवल बातचीत और कूटनीतिक माध्यमों से ही संभव है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत हर उस पहल का समर्थन करेगा जो युद्ध को खत्म करने और स्थायी शांति लाने में मददगार हो।

द्विपक्षीय संबंधों पर भी चर्चा

दोनों नेताओं ने भारत–रूस के बीच व्यापार, ऊर्जा सहयोग और रक्षा साझेदारी जैसे मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया। पुतिन और मोदी ने आगे भी लगातार संपर्क में बने रहने पर सहमति जताई।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की भूमिका

यह फोनवार्ता ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका और यूरोप, रूस के खिलाफ नए कूटनीतिक कदम उठा रहे हैं। खासकर, वाशिंगटन में आज रात ट्रंप और जेलेंस्की की बैठक पर दुनिया की निगाहें टिकी हैं। इस मुलाक़ात के बाद रूस और यूरोप के रिश्तों को लेकर बड़े फैसले सामने आ सकते हैं, जिनका असर भारत पर भी पड़ सकता है।

भारत रूस का पुराना और भरोसेमंद साझेदार है। मौजूदा समय में अमेरिका ने भारत पर भारी टैरिफ लगाया हुआ है, जिसकी वजह भारत–रूस व्यापारिक रिश्ते भी बताए जाते हैं। कूटनीतिक हलचल तेज़ है और अगर यूक्रेन युद्ध को लेकर शांति की दिशा में प्रगति होती है, तो भारत पर लगे ये टैरिफ भी खत्म हो सकते हैं।

भारत की कूटनीति अब एक बार फिर वैश्विक चर्चा के केंद्र में है। प्रधानमंत्री मोदी की शांति की अपील और रूस के साथ घनिष्ठ संवाद बताता है कि भारत न केवल अपने आर्थिक हितों को साधना चाहता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय शांति प्रक्रिया में भी सक्रिय और जिम्मेदार भूमिका निभा रहा है।