Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्र का पावन पर्व आज अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच रहा है। 1 अक्टूबर को महानवमी मनाई जा रही है। इस दिन मां दुर्गा के नवम स्वरूप मां सिद्धिदात्री की आराधना का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों की दात्री हैं और उनकी उपासना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
महानवमी तिथि और महत्व
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 30 सितंबर की शाम 6 बजकर 06 मिनट पर हो चुकी थी और इसका समापन 1 अक्टूबर की शाम 7 बजकर 01 मिनट पर होगा। इस दिन देवी दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी रूप की पूजा-अर्चना की जाती है।
महानवमी की पूजा के बाद हवन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। हवन से वातावरण शुद्ध होता है और घर-परिवार में सुख-शांति का संचार होता है।
कन्या पूजन और हवन का शुभ मुहूर्त
हवन का श्रेष्ठ समय: सुबह 6:20 से 11:40 बजे तक
पहला कन्या पूजन मुहूर्त: सुबह 5:01 से 6:14 बजे तक
दूसरा कन्या पूजन मुहूर्त: दोपहर 2:09 से 2:57 बजे तक
इस समयावधि में कन्या पूजन और हवन करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
कन्या पूजन विधि
• महानवमी पर कन्या पूजन का अत्यधिक महत्व है।
• कन्याओं को सम्मानपूर्वक घर आमंत्रित करें और उन्हें स्वच्छ व आरामदायक स्थान पर बैठाएं।
• उनके चरणों को दूध और जल से धोकर माथे पर अक्षत, कुमकुम या पुष्प लगाएं।
• उन्हें भोजन कराएं और दक्षिणा व उपहार प्रदान करें।
• अंत में उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि
• घी का दीपक जलाकर मां सिद्धिदात्री की आराधना करें।
• पुष्प, अक्षत, धूप-दीप अर्पित करें।
• भोग में मिश्री, गुड़, हरी सौंफ, केला, दही, देसी घी और पान का पत्ता चढ़ाना शुभ माना जाता है।
• अंत में देवी से प्रार्थना करें कि वे सभी ग्रहों को शांत करें और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार करें।
शारदीय नवरात्र का समापन महानवमी और कन्या पूजन के साथ होता है। आज मां सिद्धिदात्री की कृपा से भक्तों को दिव्य ऊर्जा, शांति और सफलता की प्राप्ति होती है।
Shardiya Navratri 2025: आज महानवमी, मां सिद्धिदात्री की पूजा और कन्या पूजन का विशेष महत्व; जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

