Shardiya Navaratri 2024: मां दुर्गा का आह्वान कर आज से शारदीय नवरात्र शुरू हो जाएगा। पहले दिन कलश स्थापना कर मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की आराधना की जाएगी। दुर्गापूजा को लेकर बाजार में चहल-पहल बढ़ गयी है। पूजा सामग्री की दुकानें बाजार में जगह-जगह सज गयी है। शारदीय नवरात्रि का महात्म्य सर्वोपरि इसलिये है कि इसी समय देवताओं ने दैत्यों से परास्त होकर और आद्या शक्ति की प्रार्थना की थी और उनकी पुकार सुनकर देवी माँ का आविर्भाव हुआ। उनके प्राकट्य से दैत्यों के संहार करने पर देवी माँ की स्तुति देवताओं ने की थी। उसी पावन स्मृति में शारदीय नवरात्रि का महोत्सव मनाया जाता है।
पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 3 अक्टूबर को 00:18 बजे शुरू होगी। यह तिथि 4 अक्टूबर को तड़के सुबह 02 बजकर 58 मिनट तक मान्य रहेगी। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर इस साल शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ आज यानी 3 अक्टूबर दिन गुरुवार से होगा।
शास्त्रानुसार सटीक मुहूर्त पर घट स्थापना से भक्त की सभी मनोकामनाएं फलित होती हैं और उसे पूजा का लाभ प्राप्त होता है। घटस्थापना के दिन सबसे पहले कलश की स्थापना होती है और शास्त्रों में स्वर्ण कलश रजत कलश ताम्र कलश और मिट्टी के कलश का क्रमानुसार महत्व बताते हुए वर्णन किया गया है। मान्यता है कि कलश में देवी-देवताओं, ग्रहों व नक्षत्रों का वास होता है और कलश को मंगल कार्य का प्रतीक माना गया है। कलश स्थापना करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। मान्यता है कि नवरात्रि में कलश स्थापना कर सभी शक्तियों को निमंत्रण दिया जाता है वो जब सभी शक्तियां आती हैं नकारात्मकता ऊर्जा नष्ट हो जाती है।
घटस्थापना का शुभ योग
घटस्थापना के लिए पहला शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 15 मिनट से 7 बजकर 22 मिनट तक है और घट स्थापना के लिए आपको 1 घंटा 6 मिनट का समय मिलेगा। दूसरा मुहूर्त घट स्थापना के लिए दोपहर में भी अभिजीत मुहूर्त में बन रहा है। यह मुहूर्त सबसे अच्छा माना जाता है. दिन में आप 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट के बीच कभी भी घट स्थापना कर सकते हैं।
ऐसे करें मां शैलपुत्री की पूजा
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा से पहले विधि-विधान से घट स्थापना करें और अखंड ज्योति जलाएं।
भगवान गणेश का आवाह्न करें और देवी शैलपुत्री को सफेद रंग प्रिय है, हालांकि नारंगी और लाल कलर की रंग भी देवी को सबसे प्रिय है।
घट स्थापना के बाद षोडोपचार विधि से मां शैलुपत्री की विधि-विधान से पूजा करें।
मां शैलपुत्री को कुमकुम, सफेद चंदन, हल्दी, अक्षत, सिंदूर, पान, सुपारी, लौंग, नारियल 16 श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
देवी को सफेद रंग की पुष्प, सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
मां शैलपुत्री के बीज मंत्रों का जाप करें और फिर आरती करें।
शाम के समय भी मां की आरती करें और लोगों को प्रसाद वितरित करें।