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रांची: उच्चतम न्यायालय के अनुसूचित जाति, जनजाति के आरक्षण के अंदर कोटे का निर्धारण करने और क्रीमी लेयर लागू करने का फैसला असंवैधानिक है। इससे राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा असहमत है।


उपरोक्त बातें राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार गुप्ता ने उच्चतम न्यायालय के आए फैसले के बाद कहा है।


श्री गुप्ता ने कहा कि संविधान अनुसार आरक्षण सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ेपन का आधार है और यह प्रतिनिधित्व है कोई आर्थिक उन्नयन की योजना नहीं है? इसलिए क्रीमी लेयर और आरक्षण में वर्गीकरण करना सही नहीं है? यह तब तक सही नहीं है जब तक देश में समता, स्वतंत्रता,बंधुत्व और सबको समान न्याय न मिल जाए।       
उन्होंने कहा कि एससी एसटी में कोटा निर्धारण करने से पहले जाति जनगणना हो जिससे पहचान हो सके कि देश के संसाधनों में किन वर्गों का हिस्सा कितना है?


श्री गुप्ता ने कहा कि ओबीसी वर्ग में लागू असंवैधानिक क्रीमी लेयर  को हटाने के लिए लगातार मोर्चा आंदोलनरत है।अब उस क्रीमी लेयर के प्रावधान को अनुसूचित जाति, जनजाति में भी लागू करने का निर्णय उस वर्ग को कमजोर करने और उसे वर्ग के कोटा को सार्वजनिक क्षेत्र में लाने का सुनियोजित षड्यंत्र है जिसका राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा पुरजोर विरोध करता है।


न्यायालय अगर चाहती है कि पीछे छूटे हुए अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों का कल्याण हो तो उन्हें बैक लॉग भरने के साथ सेना के उच्च पदों, सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के जजों के नियुक्ति, विश्वविद्यालय के चांसलर, प्रोफेसर,लेक्चरर सड़क भवन निर्माण के ठेकों में सप्लाई डीलरशिप मीनिंग उत्पाद विभाग आउटसोर्सिंग और परिवहन पार्किंग कैबिनेट के सचिव में जनसंख्या अनुपात में सभी वर्गों को हिस्सेदारी और भागीदारी मिले।

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