रांची। राजधानी रांची के कुछ हिस्सों में मवेशियों में लंपी वायरस जैसे लक्षण पाए गए हैं। हालांकि, राहत की बात यह है कि अब तक किसी भी पशु की मौत की खबर सामने नहीं आई है। जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए टीकाकरण और इलाज की व्यवस्था शुरू कर दी है।
किन-किन इलाकों में मिले लक्षण?
जिला पशुपालन अधिकारी के मुताबिक, सबसे पहले चान्हो और अंगारा प्रखंडों में लंपी जैसे लक्षण दिखाई दिए थे। अब वहां स्थिति नियंत्रण में है। वहीं, शहर के मोरहाबादी और बरियातू जैसे इलाकों से भी बीमारी की जानकारी मिली है। इन क्षेत्रों में मेडिकल टीमें भेजी गई हैं और बीमार पशुओं का उपचार किया जा रहा है।
क्या है लंपी वायरस और कैसे फैलता है?
पशु चिकित्सकों के अनुसार, लंपी स्किन डिजीज मुख्य रूप से मच्छरों, मक्खियों, जुओं और ततैयों के काटने से फैलता है। इसके अलावा, दूषित भोजन और पानी भी संक्रमण का कारण बन सकते हैं। इसके लक्षणों में—
तेज बुखार
शरीर और त्वचा पर गांठें
दूध उत्पादन में कमी
भूख न लगना
आंखों और नाक से पानी आना
विशेषज्ञ बताते हैं कि समय पर इलाज न मिलने पर यह बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है।
टीकाकरण और इलाज पर जोर
जिला पशुपालन अधिकारी ने बताया कि स्थिति गंभीर नहीं है क्योंकि सभी मामलों का प्राथमिकता के आधार पर इलाज किया जा रहा है। बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए प्रभावित इलाकों में बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान भी चलाया जा रहा है।
नमूनों की होगी जांच
पशु स्वास्थ्य और उत्पादन संस्थान (IAHP) के निदेशक डॉ. सनत कुमार पंडित ने कहा कि उन्हें अब तक किसी भी जिले से बीमारी फैलने की आधिकारिक सूचना नहीं मिली है। हालांकि, रांची से मिल रही खबरों को देखते हुए अगले सप्ताह उनकी टीम प्रभावित इलाकों से नमूने इकट्ठा करेगी। इन नमूनों को पुष्टि के लिए भोपाल स्थित ICAR- राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (NIHSAD) भेजा जाएगा।
प्रशासन ने पशुपालकों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं, बल्कि बीमार पशुओं को तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र में दिखाएं और उन्हें स्वस्थ पशुओं से अलग रखें। साथ ही, पशुपालकों को सलाह दी गई है कि मवेशियों को साफ पानी और पौष्टिक चारा दें और मच्छरों-मक्खियों से बचाव की व्यवस्था करें।
रांची में मवेशियों में दिखे लंपी वायरस के लक्षण, प्रशासन सतर्क

