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मोदी कैबिनेट का बड़ा फैसला, जाति जनगणना कराएगी केंद्र सरकार; मूल जनगणना के साथ ही होगी

On: April 30, 2025 11:29 AM
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नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का एलान कर दिया है। यह जनगणना मूल जनगणना के साथ ही कराई जाएगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि राजनीतिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCPA) की आज की बैठक में फैसला लिया गया है कि आगामी जनगणना में जातीय गणना को शामिल किया जाएगा। इसे एक ऐतिहासिक निर्णय बताया जा रहा है क्योंकि पहले जातीय जनगणना मूल जनगणना का हिस्सा नहीं थी। उन्होंने कहा, “कुछ राज्यों ने अपने स्तर पर जातीय सर्वे किए हैं लेकिन सामाजिक संरचना को बेहतर ढंग से समझने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की जरूरत है। CCPA ने निर्णय लिया है कि जातियों की गिनती अब अगली जनगणना का हिस्सा होगी न कि किसी अलग सर्वे के तहत।”

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि उसने कभी भी जातीय जनगणना को गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता में रहते हुए कांग्रेस ने कभी जाति आधारित जनगणना नहीं कराई और अब वह इसे केवल राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है। वैष्णव ने आगे कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दल जातीय जनगणना को सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए उठाते हैं लेकिन इसके पीछे सामाजिक कल्याण का कोई वास्तविक मकसद नहीं दिखता। उन्होंने यह भी साफ किया कि संविधान के अनुच्छेद 246 के तहत कुछ राज्य सरकारों को अपने स्तर पर सामाजिक सर्वे करने का अधिकार है। हालांकि अब जातीय आंकड़ों को केंद्रीय जनगणना में शामिल किया जाएगा ताकि डेटा में एकरूपता और सटीकता सुनिश्चित हो सके। केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा, ‘1947 से जाति जनगणना नहीं की गई। कांग्रेस की सरकारों ने हमेशा जाति जनगणना का विरोध किया। 2010 में दिवंगत डॉ. मनमोहन सिंह सिंह ने कहा था कि जाति जनगणना के मामले पर कैबिनेट में विचार किया जाना चाहिए। इस विषय पर विचार करने के लिए मंत्रियों का एक समूह बनाया गया था। अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति जनगणना की सिफारिश की। इसके बावजूद, कांग्रेस सरकार ने जाति का सर्वेक्षण या जाति जनगणना कराने का फैसला किया।

उन्होंने कहा कि यह अच्छी तरह से समझा जा सकता है कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने जाति जनगणना को केवल एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। कुछ राज्यों ने यह अच्छा किया है, कुछ अन्य ने केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से गैर-पारदर्शी तरीके से ऐसे सर्वेक्षण किए हैं। ऐसे सर्वेक्षणों ने समाज में संदेह पैदा किया है यह सुनिश्चित करने के लिए कि राजनीति से हमारा सामाजिक ताना-बाना खराब न हो, सर्वेक्षण के बजाय जाति गणना को जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए।

जनगणना इस साल सिंतबर से शुरू की जा सकती है। इसे पूरा होने में कम से 2 साल लगेंगे। ऐसे में अगर सितंबर में भी जनगणना की प्रक्रिया शुरू हुई तो अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में आएंगे।

इसके साथ ही इस कैबिनेट मीटिंग में मेघालय से असम के लिए नए कॉरिडोर को मंजूरी दी गई। 166 किमी. के इस हाइवे के लिए 22 हजार करोड़ से ज्यादा के बजट को मंजूरी दी गई। कैबिनेट ने गन्ना किसानों को भी बड़ी सौगात दी। सरकार ने गन्ने का एफआरपी बढ़ाने का फैसला लिया है। सरकार ने गन्ने का मूल्य बढ़ाकर 355 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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