रांची :- माननीय राज्यपाल श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, साहित्य सहित विभिन्न क्षेत्रों में पश्चिम बंगाल का अहम योगदान रहा है। अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ पश्चिम बंगाल विचारों, कलाओं और परंपराओं का गढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का योगदान अद्वितीय रहा है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। इस भूमि ने कई महान विचारक, लेखक, कवि व क्रांतिकारी प्रदान किए हैं जिन्होंने अमिट छाप छोड़ी है। राज्यपाल महोदय आज राज भवन में आयोजित ‘पश्चिम बंगाल राज्य स्थापना दिवस’ के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे।
राज्यपाल महोदय ने उपस्थित अतिथियों को राज्य स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा कि झारखण्ड राज्य के विकास में आप सभी का योगदान सराहनीय है। उन्होंने कहा कि भारत विविधताओं का देश है, फिर भी अनेक विभिन्नताओं के बावजूद हम सब एक हैं। “विविधता में एकता” हमारी ताकत है। उन्होंने कहा कि हमें स्वयं की भाषा, संस्कृति के साथ दूसरे की भाषा व संस्कृति का भी सम्मान करना चाहिए। इस दिशा में “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की एक दूरदर्शी पहल है जिसका उद्देश्य भारत के विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों के मध्य आपसी एकता को और प्रगाढ़ करना व सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है। इस पहल के तहत आज राज भवन में पश्चिम बंगाल राज्य स्थापना दिवस का आयोजन किया जा रहा है।
माननीय राज्यपाल ने कहा कि पश्चिम बंगाल ने नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर समेत अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के कई लेखक यथा शरत चंद्र चट्टोपाध्याय, महाश्वेता देवी, बंकिम चंद्र चटर्जी, आशापूर्णा देवी आदि दिये हैं। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोग अपने त्योहारों को बड़ी भक्ति, जुनून और भव्यता के साथ मनाते हैं। बंगाल में दुर्गा पूजा और काली पूजा बड़े पैमाने पर मनाई जाती है जो देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले लोगों को आकर्षित करता है। उन्होंने कहा कि बंग समुदाय न केवल अपनी परंपराओं में निहित हैं, बल्कि वे अपने आधुनिक और प्रगतिशील दृष्टिकोण के लिए भी जाने जाते हैं। इसने ऐसे महान सुधारकों को देखा है जिनके योगदान ने एक आधुनिक और बेहतर भारत का मार्ग प्रशस्त किया है। बंगाली रंगमंच और सिनेमा ने मनोरंजन के प्रभावी साधन के रूप में भी योगदान दिया है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बंगाल के रंगमंच ने लोगों में जागृति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आधुनिक युग में, प्रसिद्ध बंगाली निर्देशक सत्यजीत रे का अपार योगदान अद्वितीय है।
उक्त अवसर पर राज्यसभा सदस्य डॉ महुआ माजी ने कहा कि झारखंड 1912 तक बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा था। इसलिए यहाँ रहने वाले बांग्ला समुदाय के लोग अपने को यहीं के मानते हैं। बंगाली और संताली समाज एक-दूसरे से घुले-मिले हैं बांग्ला साहित्य व संस्कृति अत्यंत समृद्ध हैं। यहाँ के विभिन्न क्लबों में साहित्य-संस्कृति को सहेजने व विकास हेतु अक्सर कार्यक्रम होता है। यूनियन क्लब में निःशुल्क बांग्ला सिखाया जाता है।
स्वागत भाषण करते हुए राज्यपाल के प्रधान सचिव डॉ० नितिन कुलकर्णी ने कहा कि पश्चिम बंगाल का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अहम योगदान रहा है। इसकी साहित्य व संस्कृति की विशिष्ट पहचान है। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।