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धनबाद के केंदुआडीह में जहरीली गैस का कहर, 13 दिन बाद भी नहीं थमा कार्बन मोनोऑक्साइड रिसाव; हजारों लोग प्रभावित

On: December 14, 2025 9:47 AM
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धनबाद: जिले के केंदुआडीह क्षेत्र स्थित राजपूत मोहल्ले में 3 दिसंबर को हुए गैस रिसाव की घटना ने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया है। इस दर्दनाक हादसे में दो‌ महिलाओं की मौत हो गई। इसके अलावा कई लोग गंभीर रूप से बीमार हो गए। हैरानी की बात यह है कि घटना को 13 दिन बीत जाने के बावजूद अब तक गैस रिसाव पर पूरी तरह काबू नहीं पाया जा सका है।

कार्बन मोनोऑक्साइड निकली जानलेवा

जांच में सामने आया है कि रिसने वाली गैस कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) है, जो अत्यंत जहरीली मानी जाती है। यह गैस बंद पड़ी भूमिगत केंदुआडीह कोलियरी के 13 और 14 नंबर सिम से लगातार बाहर निकल रही है। जांच के दौरान गैस की मात्रा 300 से 700 पीपीएम, जबकि कुछ स्थानों पर 800 पीपीएम तक रिकॉर्ड की गई, जो इंसानों के लिए बेहद खतरनाक स्तर है। सामान्यतः 50 पीपीएम तक की मात्रा को सुरक्षित माना जाता है।

40 से ज्यादा घर प्रभावित, दायरा लगातार बढ़ा

गैस रिसाव का असर लगभग 400 फीट के दायरे में देखा गया है। शुरुआती तौर पर करीब 40 घरों को प्रभावित बताया गया था, लेकिन अब इसका प्रभाव आसपास के इलाकों तक फैलता जा रहा है। लोगों को सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, सिर भारी होना और चक्कर आने जैसी समस्याएं हो रही हैं।

15 साल से बंद कोलियरी बनी खतरे की वजह

बीसीसीएल प्रबंधन की शुरुआती जांच में यह तथ्य सामने आया कि करीब 15 वर्षों से बंद पड़ी कोलियरी के भीतर बड़ी मात्रा में गैस जमा थी। समय के साथ जमीन में दरारें पड़ीं और उसी रास्ते से गैस बाहर निकलने लगी। जिस राजपूत बस्ती से रिसाव शुरू हुआ, वह इलाका पहले से ही अग्नि और भू-धंसान प्रभावित क्षेत्र माना जाता है और बीते 45 वर्षों में यहां कई हादसे हो चुके हैं।

प्रशासन अलर्ट, मेडिकल टीम तैनात

घटना की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन हरकत में आया। उपायुक्त ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया और मेडिकल टीमों को 24 घंटे अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया। आसपास के अस्पतालों को भी आपात स्थिति से निपटने के लिए अतिरिक्त तैयारी करने को कहा गया है।

मामला पीएमओ तक पहुंचा, कोल इंडिया चेयरमैन मौके पर

गंभीर स्थिति को देखते हुए मामला प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तक पहुंचा, जिसके बाद उच्चस्तरीय जांच शुरू हुई। कोल इंडिया के चेयरमैन सनोज कुमार झा के नेतृत्व में टीम ने केंदुआडीह का निरीक्षण किया। उन्होंने स्थिति को अत्यंत गंभीर बताते हुए कहा कि लोगों की जान बचाने के लिए अस्थायी स्थानांतरण जरूरी है। साथ ही बीसीसीएल को पूरे क्षेत्र की तकनीकी मैपिंग, गैस स्रोत की पहचान और नियंत्रण प्रक्रिया तेज करने के निर्देश दिए गए।

हाई-टेक सर्वे, फिर भी नियंत्रण से बाहर गैस

इसके बाद रांची से सीएमपीडीआई (CMPDI) की हाई-टेक टीम को बुलाया गया। ड्रोन सर्वे, बोरहोल लोकेशन, गैस फ्लो टेस्ट और संभावित लीक पॉइंट की पहचान का काम किया जा रहा है। बावजूद इसके, तमाम प्रयासों के बाद भी गैस रिसाव पूरी तरह नियंत्रण में नहीं आ सका है।

500 घर, 3 हजार लोग खतरे में

राजपूत बस्ती और आसपास के इलाके में करीब 500 घरों में तीन हजार से अधिक लोग रहते हैं। लगातार फैलते गैस रिसाव ने इन सभी की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक गैस के स्रोत को पूरी तरह सील नहीं किया जाता, तब तक खतरा बना रहेगा।

गैस रिसाव की घटना को लेकर स्थानीय लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। लोगों का साफ कहना है कि वे विस्थापन नहीं चाहते, बल्कि गैस रिसाव को स्थायी रूप से बंद किया जाए। उनका आरोप है कि घटना को 13 दिन बीत जाने के बावजूद न तो रिसाव पूरी तरह रोका गया है और न ही किसी ठोस तकनीकी समाधान की जानकारी दी गई है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि अस्थायी राहत या इलाके को खाली कराने से समस्या का हल नहीं होगा। वे चाहते हैं कि संबंधित एजेंसियां वैज्ञानिक तरीके से जांच कर रिसाव के स्रोत को सील करें, ताकि भविष्य में किसी की जान न जाए।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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