श्रीमद् भागवत में छठवें दिन सुनाई कंस वध और कृष्ण-रुक्मिणी विवाह की कथा, भक्तों की उमड़ी भीड़

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शुभम जायसवाल

श्री बंशीधर नगर (गढ़वा):– श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर श्री बंशीधर मंदिर के खलिहान प्रांगण में श्री बंशीधर सूर्य मंदिर ट्रस्ट की ओर से आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन श्रद्धालुओं को अमृत पान कराते हुए श्रीधाम वृन्दावन से आए आचार्य श्री स्वामी पुण्डरीकाक्षाचार्य वेदांती जी महाराज ने श्रीमद् भागवत में भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े लीलाओं का प्रसंग सुनाया। भागवत कथा के दौरान बड़ी संख्या में महिला पुरुषों की भीड़ थी। पूरा पंडाल जय श्री कृष्णा,राधे राधे के उद्घोष से गुंजायमान हो रहा था। कथा का श्रवन कराते हुए वेदांती जी महाराज ने कंस वध व रुकमणी विवाह के प्रसंगों का चित्रण किया। उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु के पृथ्वी लोक में अवतरित होने के प्रमुख कारण थे, जिसमें एक कारण कंस वध भी था।

कंस के अत्याचार से पृथ्वी त्राह त्राह जब करने लगी तब लोग भगवान से गुहार लगाने लगे। तब कृष्ण अवतरित हुए। कंस को यह पता था कि उसका वध श्रीकृष्ण के हाथों ही होना निश्चित है। इसलिए उसने बाल्यावस्था में ही श्रीकृष्ण को अनेक बार मरवाने का प्रयास किया, लेकिन हर प्रयास भगवान के सामने असफल साबित होता रहा।

11 वर्ष की अल्प आयु में कंस ने अपने प्रमुख अकरुर के द्वारा मल्ल युद्ध के बहाने कृष्ण, बलराम को मथुरा बुलवाकर शक्तिशाली योद्धा और पागल हाथियों से कुचलवाकर मारने का प्रयास किया, लेकिन वह सभी श्रीकृष्ण और बलराम के हाथों मारे गए और अंत में श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर मथुरा नगरी को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिला दी। कंस वध के बाद श्रीकृष्ण ने अपने माता-पिता वसुदेव और देवकी को जहां कारागार से मुक्त कराया, वही कंस के द्वारा अपने पिता उग्रसेन महाराज को भी बंदी बनाकर कारागार में रखा था, उन्हें भी श्रीकृष्ण ने मुक्त कराकर मथुरा के सिंहासन पर बैठाया।

उन्होंने बताया कि रुकमणी जिन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। वह विदर्भ साम्राज्य की पुत्री थी, जो विष्णु रूपी श्रीकृष्ण से विवाह करने को इच्छुक थी। लेकिन रुकमणी जी के पिता व भाई इससे सहमत नहीं थे, जिसके चलते उन्होंने रुकमणी के विवाह में जरासंध और शिशुपाल को भी विवाह के लिए आमंत्रित किया था, जैसे ही यह खबर रुकमणी को पता चली तो उन्होंने दूत के माध्यम से अपने दिल की बात श्रीकृष्ण तक पहुंचाई और काफी संघर्ष हुआ युद्ध के बाद अंततः श्री कृष्ण रुकमणी से विवाह करने में सफल रहे।

कथा के दौरान पूर्व विधायक अनंत प्रताप देव, पूर्व विधायक के पुत्र मानवेंद्र प्रताप देव,श्री बंशीधर सूर्य मंदिर ट्रस्ट के प्रधान ट्रस्टी राजेश प्रताप देव, प्रतिष्ठित व्यवसाई वीरेंद्र प्रसाद कमलापुरी, चैंबर ऑफ कॉमर्स के संरक्षक राम प्रसाद कमलापुरी,अधिवक्ता ब्रजेश चौबे,झामुमो नेता अमरनाथ पांडेय,धीरेंद्र चौबे,मनदीप प्रसाद कमलापुरी,मिक्की जायसवाल,राकेश विश्वकर्मा,खुशदिल सिंह,प्रमोद कमलापुरी,गोपाल कमलापुरी,बैजनाथ तिवारी, उमा शंकर जायसवाल,सुजीत लाल अग्रवाल, सुरेश विश्वकर्मा, राहुल विश्वकर्मा सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

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