Waqf Amendment Bill: अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार (02 अप्रैल) को लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल 2025 पेश किया। जिसके बाद पक्ष-विपक्ष की चर्चा करीब 11 घंटे तक चली। स्पीकर ओम बिरला ने सदन में ध्वनिमत कराया फिर वोटिंग की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद बिल लोकसभा में पास हो गया। इस बिल के समर्थन में 288 और 232 वोट विरोध में पड़े। किरेन रिजिजू ने इसे उम्मीद (यूनीफाइड वक्फ मैनेजमेंट इम्पावरमेंट, इफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट) नाम दिया है।
लोकसभा में इस बिल लंबी चर्चा के दौरान जमकर हंगामा भी हुआ। विपक्ष ने इसे असंवैधानिक करार दिया। सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तो विरोध में बिल की कॉपी सदन में ही फाड़ दी। बिल फाड़ने के बाद ओवैसी संसद की कार्यवाही छोड़कर चले गए। सत्ता पक्ष की ओर से इस बिल को कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति का अंतिम संस्कार करने वाला कहा गया।
इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में कहा, हम वोट बैंक के लिए कानून लेकर नहीं आए हैं। कानून न्याय और कल्याण के लिए होता है। संसद का कानून सबको मानना पड़ता है। विपक्ष कानून नहीं मानने को लेकर धमका रहा है भारत सरकार का कानून सभी को मानना पड़ेगा। जमीन का मालिकाना हक तय करने का अधिकार कलेक्टर के पास है। जमीन का सत्यापन कलेक्टर की ओर से होना ही चाहिए। सत्यापन जरूरी है अगर कलेक्टर वक्फ की संपत्ति का सत्यापन करता है तो आपत्ति क्यों है। वक्फ संशोधन विधेयक-2025 को लेकर भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं। मैं साफ कहना चाहता हूं कि वक्फ मुस्लिम भाइयों की धार्मिक क्रिया-क्लाप और उनके बनाए हुए दान से ट्रस्ट है। उसमें सरकार कोई दखल नहीं देना चाहती है इसमें मुतवल्ली भी उनका होगा, वाकिफ भी उनका होगा, वक्फ भी उनका होगा।
बिल पर चर्चा में रिजिजू ने 58 मिनट अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने 5 मार्च 2014 को 123 प्राइम प्रॉपर्टी को दिल्ली वक्फ बोर्ड को ट्रांसफर कर दीं। ऐसा लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अल्पसंख्यक वोटों के लिए किया गया, पर चुनाव हार गए। रिजिजू ने कहा- अगर हमने आज यह संशोधन बिल पेश नहीं किया होता, तो जिस इमारत में हम बैठे हैं, उस पर भी वक्फ संपत्ति होने का दावा किया जा सकता था। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में नहीं आती तो कई अन्य संपत्तियां भी गैर-अधिसूचित हो गई होतीं।