मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, सुरक्षाकर्मियों से भिड़े उपद्रवी; 67 घायल, 12 की हालत गंभीर

On: March 9, 2025 4:17 AM

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इंफाल: मणिपुर में शनिवार (8 मार्च) को एक बार फिर बड़े स्तर पर हिंसा भड़क गई। कुकी समुदाय के लोगों ने ऐसा बवाल मचाया कि 27 सुरक्षाकर्मी घायल हो गए, जिनमें दो की हालत गंभीर है। 40 लोगों को भी चोटें आई हैं। इनमें भी 10 गंभीर रूप से घायल हुए हैं। अब तक एक व्यक्ति के मारे जाने की खबर है।
दरअसल, मणिपुर में शनिवार से केंद्र का ‘फ्री मूवमेंट’ वाला फैसला लागू होना था। इसी के विरोध में यहां के कांगपोकपी जिले में कुकी समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए और बसों की आवाजाही को रोकने की कोशिश करने लगे। कांगपोकपी जिला एक कुकी बहुल इलाका है। यहां प्रदर्शनकारियों ने राज्य परिवहन की एक बस को रोकने का प्रयास किया। यह बस ‘फ्री मूवमेंट’ सुनिश्चित करने के प्रशासन के प्रयासों के तहत इंफाल से सेनापति जिले में जा रही थी। प्रदर्शनकारियों ने यहां बस पर पथराव किया। जब सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें खदेड़ा तो इन्हें भी पत्थरबाजी का सामना करना पड़ा। इसी के बाद हालात बिगड़ते चले गए। हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने गामगीफाई से कीथेलमनबी तक राष्ट्रीय राजमार्ग-2 (दीमापुर-इम्फाल) को अवरुद्ध कर दिया। सुरक्षा बलों ने इन्हें हटाने के लिए आंसू गैस के गोले, नकली बम और लाइव राउंड का इस्तेमाल किया। उपद्रवियों ने भी सुरक्षाकर्मियों पर खूब पत्थर बरसाए। इस दौरान गोलियां भी चलीं। गामगीफाई में रोकी गई बस में मौजूद 16 लोग घायल हुए। कुल 40 लोगों को चोटें आईं, जिनमें से 10 की हालत गंभीर बताई जा रही है। उधर, 27 पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई है।
पुलिस के बयान में कहा गया है, ‘प्रदर्शनकारियों में से हथियारबंद बदमाशों द्वारा भारी पथराव, गुलेल के इस्तेमाल और बेतरतीब गोलीबारी के कारण 27 सुरक्षा बल के जवान घायल हो गए, जिनमें 2 एसएफ कर्मी गंभीर रूप से घायल हैं। सुरक्षा बलों के दो वाहन भी जला दिए गए।
कुकी-जो काउंसिल (KJC) ने शनिवार को हुई हिंसा के बाद सभी पहाड़ी जिलों में अनिश्चितकालीन बंद की घोषणा की है। इनके बयान में कहा गया है, ‘पर्याप्त चेतावनियों के बावजूद मैतेई लोगों को कुकी-जो इलाकों में भेजने की राज्य सरकार की हालिया कार्रवाई ने क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया है। इसी कारण लालगुन सिंगसिट की मौत हुई। KJC बफर जोन में मैतेई लोगों की स्वतंत्र आवाजाही की गारंटी नहीं दे सकता और किसी भी अप्रिय घटना कीजिम्मेदारी नहीं ले सकता।’ यानी साफ है केंद्र सरकार के ‘फ्री मूवमेंट’ फैसले का विरोध जारी रहना तय है।