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जमशेदपुर: शहर में हिंदी पत्रकारिता के जनक राधेश्याम अग्रवाल शनिवार की सुबह हृदय गति रुक जाने के कारण अपनी अनंत यात्रा पर निकल गए। उनके निधन पर शोक की लहर दौड़ गई है। शोक व्यक्त करने वालों का तांता लग गया है।

वे अपने पीछे छोड़ गए हैं चार से ज्यादा दशक तक अपनी निर्भीक, स्पष्ट और बेलाग पत्रकारिता की गौरवशाली विरासत. हिंदी दैनिक ‘उदित वाणी’ के प्रकाशन की शुरूआत के साथ शहर में हिंदी पत्रकारिता का बीज बोकर उसे पुष्पित और पल्लवित कर विशाल वटवृक्ष का रूप देने वाले संस्थापक संपादक राधेश्याम अग्रवाल का शनिवार की सुबह निधन हो गया।

83 वर्षीय राधे श्याम अग्रवाल ने 1980 में मध्य प्रदेश में बिक्री कर विभाग के सहायक आयुक्त के पद पर 12 साल तक कार्यरत रहने केे बाद इस्तीफा दे दिया और जमशेदपुर में आकर 22 अगस्त, 1980 को जमशेदपुर का पहला हिंदी दैनिक ‘उदित वाणी’ लॉन्च किया,जिसका विमोचन बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र ने किया था.इससे पहले श्री अग्रवाल ने रांची विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर के रूप में भी कार्य किया था. श्री अग्रवाल 2005 में झारखंड की शिबू सोरेन सरकार मेंं प्रेस सचिव भी रह चुके थे. वे अपने पीछे दो बेटे और एक बेटी छोड़ गए हैं. बड़े बेटे उदित अग्रवाल ‘उदित वाणी’ के प्रकाशन से जुड़े हैं और यंग इंडियंस नामक संगठन के जरिए समाज के वंचितों का जीवन बेहतर करने की मुहिम से संबद्ध हैं. छोटे बेटे हिमांशु अग्रवाल अमेरिका में रहते हैं, वहीं उनकी बेटी एनडीटीवी न्यूज की पूर्व पत्रकार मुकुल जैन दुबई में रहती हैं।

प्रेरणास्रोत के रूप में याद किया जायेंगे राधेश्याम अग्रवाल: रघुवर

ओडिशा के राज्यपाल श्री रघुवर दास ने वरिष्ठ पत्रकार और उदितवाणी के संपादक श्री राधेश्याम अग्रवाल के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। शोक व्यक्त करते हुए श्री दास ने कहा कि यह अविश्वसनीय है कि श्री अग्रवाल इतनी शीघ्र दुनिया को छोङकर दूसरी लोक चले जायेगे। जमशेदपुर दौरे के दौरान श्री अग्रवाल का आवास पर मिलना अंतिम होगा, ऐसा विश्वास से परे था।

1980 में जमशेदपुर से उदितवाणी के रूप में पहली हिंदी दैनिक शुरू करने के बाद से ही श्री अग्रवाल के साथ मधुर संबंध था।

श्री दास ने कहा, “जमशेदपुर ने एक पत्रकार खो दिया, जिसने अपनी लेखनी से मानवता की सेवा की और प्रशासन और जनता की शिकायतों के बीच सेतु के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें जमशेदपुर में दैनिक समाचार पत्रों के प्रकाशन के प्रेरणास्रोत के रूप में याद किया जाएगा।”

ओडीशा के राज्यपाल ने कहा कि श्री अग्रवाल एक सफल पत्रकार के साथ साथ मृदुभाषी एवं मिलनसार व्यक्ति थे। झारखंड में पत्रकारिता के क्षेत्र उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उनकी कमी हमेशा खलेगी।

श्री दास ने शोक संतप्त श्री अग्रवाल के परिजनों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करते हुए कहा है कि मृत्यु पर आदमी का वश नहीं चलता है, हानि-लाभ जीवन-मरण, यश-अपयश ऊपर वाले के हाथ में है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें तथा इनके निधन से मर्माहत परिजनों को दु:ख सहने की शक्ति दें। श्री दास ने श्री अग्रवाल के पुत्र से बात कर सान्तवना व्यक्त की।

पत्रकारिता जगत को अपूरणीय क्षति: पप्पू

जमशेदपुर। सामाजिक कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने दैनिक उदितवाणी के संस्थापक संपादक राधेश्याम अग्रवाल के निधन को पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया है।

इस औद्योगिक शहर में सुधी पाठक वर्ग तैयार करने में उनकी जो भूमिका रही है। अखबार एवं पत्रकारिता जगत का जब भी इतिहास लिखा जाए जायेगा, उनकी देन स्वर्ण अक्षरों में होगी।

1980 के दशक में उन्होंने इस औद्योगिक शहर में दैनिक उदितवाणी की स्थापना की और नागरिकों को सामाजिक, संस्कृति और आर्थिक रूप से संवेदनशील बनाया।

इन 40 साल में शहर में जो कुछ उन्होंने पत्रकारिता के माध्यम से दिया है, देन अनुपम है।

उनकी देन है कि शहर में कई लोगों को उन्होंने कलम का सिपाही बनाया जो आज देश में बड़ी भूमिका अदा कर रहे हैं और नामचीन है।

पप्पू के अनुसार, वे ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनकी आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें परिवार, संबंधी और शुभचिंतकों को दुख सहने की शक्ति दे।