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ये कैसी व्यवस्था…घरों में कैद हो रही महिला मुखिया, पति संभालते हैं कुर्सी

On: April 3, 2024 3:16 AM
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सूरज प्रकाश मेहता

गढ़वा:- जिले के प्रखंड क्षेत्र के कई ग्राम पंचायत में कहने को तो मुखिया महिला हैं लेकिन पंचायत में संचालित सभी योजनाओं तथा कार्यों का बागडोर उनके पति के पास रहता है। महिला मुखिया होने के बावजूद भी वह घर के चारदीवारी के अंदर दबी हुई है।

वास्तविक में देखा जाए तो महिला आरक्षण एवं महिला सशक्तिकरण के दावे खोखले साबित होते दिख रहे हैं। आरक्षण के दम पर निर्वाचित होने के पश्चात महिला मुखिया का सर पर ताज तो सज गया है लेकिन अभी भी वो घुंघट से पूर्ण रूप से बाहर नहीं आ सकी है। देखा जाए तो अभी भी वो पंचायत सचिवालय के जगह घर के चौक चूल्हे ही संभाल रही हैं।

कहने को तो वह असली मुखिया हैं लेकिन उनके पति को ही असली मुखिया मानते हैं। पंचायत स्तरीय ग्राम सभा हो या वित्त अंकेक्षण, योजना समिति की बैठक में अधिकतर महिला मुखिया की उपस्थिति कम होती है। वहीं महिला मुखिया के पति की उपस्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है।

महिला मुखिया को कुर्सी पर बैठने के बजाए उनके पति ही कुर्सी संभालते हैं

महिला मुखिया किसी तरह के योजनाओं में पति से बिना पूछे कोई कदम नहीं उठाती, और अन्य कागजों पर हस्ताक्षर भी नहीं करती। यहां तक की महिला मुखिया का मोबाइल भी उनके पति के कब्जे में ही रहता है। इस कारण से असली मुखिया से जनता को बात भी नहीं हो पाती तो जनता की समस्या हल करना तो बात ही दूर है।
जब कोई पंचायत वासी अपने मुखिया से अपनी समस्याओं को रखने के लिए फोन लगाते हैं तो उनके पति के द्वारा ही फोन रिसीव किया जाता है।

यहां भारत सरकार महिला को 50% आरक्षण देकर सशक्त बनाने को सोच रही है ताकि महिला मुखिया अपने पावर को
सार्थक तरीके से उपयोग कर सशक्त पंचायती राज के सपने को पूरा कर सकें। लेकिन महिला मुखिया को मौका नहीं दिया जा रहा है।

जबकि सरकार की गाइडलाइन पूरी तरह स्पष्ट है कि चुने गए महिला मुखिया ही सरकारी व गैर सरकारी सभाओं में भाग लेना सुनिश्चित करेंगे। वहीं महिला मुखिया की जगह उनके पति बैठक में आधिकारिक रूप से शामिल होते हैं तो किसी भी सूरत में मान्य नहीं होगा।

नारी सशक्तिकरण का लक्ष्य कमजोर हो रहा है। इस पर अंकुश लगाने का हर संभव प्रयास प्रशासनिक अधिकारियों को करना चाहिए।

Satyam Jaiswal

सत्यम जायसवाल एक भारतीय पत्रकार हैं, जो झारखंड राज्य के रांची शहर में स्थित "झारखंड वार्ता" नामक मीडिया कंपनी के मालिक हैं। उनके पास प्रबंधन, सार्वजनिक बोलचाल, और कंटेंट क्रिएशन में लगभक एक दशक का अनुभव है। उन्होंने एपीजे इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन से शिक्षा प्राप्त की है और विभिन्न कंपनियों के लिए वीडियो प्रोड्यूसर, एडिटर, और डायरेक्टर के रूप में कार्य किया है। जिसके बाद उन्होंने झारखंड वार्ता की शुरुआत की थी। "झारखंड वार्ता" झारखंड राज्य से संबंधित समाचार और जानकारी प्रदान करती है, जो राज्य के नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण है।

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