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गंभीर रूप से बीमार शिबू सोरेन से क्यों नहीं मिल सकीं बड़ी बहू सीता सोरेन? जानिए उनका जवाब

On: June 30, 2025 10:42 AM
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झारखंड वार्ता/डेस्क

रांची। झारखंड के सर्वोच्च नेता और झारखंड आंदोलन के पुरोधा दिशोम गुरु शिबू सोरेन की हालत गंभीर बनी हुई है। उनका इलाज नई दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल में जारी है। इस बीच जहां पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनकी पत्नी कल्पना सोरेन, छोटे पुत्र बसंत सोरेन और परिवार के अन्य सदस्य लगातार गुरुजी की सेवा में लगे हैं, वहीं दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी और झामुमो नेत्री सीता सोरेन अस्पताल जाकर भी गुरुजी से मुलाकात नहीं कर सकीं।

सोमवार को हूल दिवस के मौके पर साहेबगंज के भोगनाडीह जाने से पहले दुमका में मीडिया से बातचीत करते हुए सीता सोरेन ने भावुक स्वर में बताया कि वह दिल्ली गई थीं और काफी देर तक अस्पताल के बाहर गाड़ी में बैठी रहीं। उन्होंने कहा, मैं सोचती रही कि बाबा को इस हालत में देखकर खुद को संभाल पाऊंगी या नहीं। जब जाकर देखा कि देश के बड़े डॉक्टर उनका इलाज कर रहे हैं, तो दिल को कुछ सुकून मिला, लेकिन मैं उनसे मिलने की हिम्मत नहीं जुटा सकी।

बिना मिले लौटीं, मंदिर में मांगी दुआ

सीता सोरेन ने बताया कि दिल्ली से लौटने के बाद उन्होंने मंदिर जाकर पूजा-अर्चना की और बाबा शिबू सोरेन के जल्द स्वस्थ होने की कामना की। उन्होंने कहा, मैं बाबा के स्वस्थ होने की रोज़ दुआ कर रही हूं। ईश्वर करे वह जल्द स्वस्थ होकर घर लौटें और पहले की तरह हम सब उनसे मिल सकें।

बाबा ने मुझे पिता से भी ज़्यादा स्नेह दिया

भावुक होते हुए सीता सोरेन ने कहा कि बाबा ने उन्हें हमेशा पिता से भी ज्यादा स्नेह और सम्मान दिया। उन्होंने कहा कि न केवल वे, बल्कि पूरा झारखंड और गुरुजी से प्रेम करने वाला हर नागरिक उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना कर रहा है।

गौरतलब है कि 84 वर्षीय शिबू सोरेन लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे हैं और दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में उनका इलाज विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में चल रहा है। उनका स्वास्थ्य झारखंड के राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चिंता का विषय बना हुआ है। उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना में प्रदेशभर में प्रार्थनाएं और पूजा-पाठ का दौर जारी है।

Shubham Jaiswal

“मैं शुभम जायसवाल, बीते आठ वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ा हूँ। इस दौरान मैंने विभिन्न प्रतिष्ठित अखबारों और समाचार चैनलों में प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हुए न केवल खबरों को पाठकों और दर्शकों तक पहुँचाने का कार्य किया, बल्कि समाज की समस्याओं, आम जनता की आवाज़ और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की वास्तविक तस्वीर को उजागर करने का प्रयास भी निरंतर करता रहा हूँ। पिछले पाँच वर्षों से मैं साप्ताहिक अखबार ‘झारखंड वार्ता’ से जुड़ा हूँ और क्षेत्रीय से जिले की हर छोटी-बड़ी घटनाओं की सटीक व निष्पक्ष रिपोर्टिंग के माध्यम से पत्रकारिता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का प्रयास कर रहा हूँ। पत्रकारिता मेरे लिए केवल पेशा नहीं बल्कि समाज और जनता के प्रति एक जिम्मेदारी है, जहाँ मेरी कलम हमेशा सच और न्याय के पक्ष में चलती है।

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