झारखंड वार्ता
केकड़ा और उसका खून शायद ही आपको महंगी चीज लगे। लेकिन ये फैक्ट है और इसका पुष्ट वैज्ञानिक आधार है। हॉर्सशू केकड़े का खून दुनिया की कई महंगी चीजों में शुमार है। इस खून का इस्तेमाल मेडिकल फील्ड में होता है। इस खून की कई विशेषताएं हैं जो इसे हीरे-जवाहरात से महंगा बना देते हैं। यह दिखने में एक मकड़ी और विशाल आकार के जूं जैसे जीव के बीच की प्रजाति होती है। हॉर्स शू केकड़े पृथ्वी पर डायनासोरों से भी पुराने समय से हैं। इस ग्रह पर ये कम से कम 45 करोड़ सालों से हैं। आज मेडिकल साइंस में केकड़े के नीले खून की इतनी डिमांड है कि हर साल अकेले अमेरिका के तटों से 5 लाख केकड़े पकड़े जाते हैं और उनसे नीला ब्लड इकट्ठा किया जाता है। इसके अलावा चीन और मैक्सिको के समुद्र तटों पर भी बड़ी संख्या में केकड़े पकड़े जाते हैं।

1 लीटर खून की कीमत 11 लाख रुपये
अटलांटिक हॉर्स शू केकड़े बसंत ऋतु से मई-जून के महीने के आसपास ज्वार (हाई टाइड) के दौरान दिखाई देते हैं। इस जीव ने अब तक लाखों जिंदगियों को बचाया है। वैज्ञानिक 1970 से इस जीव के खून के इस्तेमाल से मेडिकल उपकरणों और दवाओं के जीवाणु रहित होने की जांच करते हैं। इस जीव का खून जैविक जहर के प्रति अति संवेदनशील होता है। हर साल करीब पांच करोड़ अटलांटिक हॉर्स शू केकड़ों को जैव चिकित्सकीय इस्तेमाल के लिए पकड़ा जाता है। इसके एक लीटर की कीमत 11 लाख रुपये तक होती है। इसके खून का रंग नीला होता है, दरअसल, इसके खून में तांबा होता है। जिस वजह से इसके खून का रंग नीला होता है और इसके खून में एक खास रसायन होता है, जो बैक्टीरिया के आसपास जमा होकर उसे कैद कर देता है। किसी भी चीज में बैक्टीरिया की मिलावट है या नही, अगर इसे पता करना हो तो केकड़े के खून की तनिक मात्रा इस मिलावट को फौरन पकड़ लेती है। यही कारण है कि हॉर्सशू केकड़े का खून मेडिकल फील्ड में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है।

खून निकालने की प्रक्रिया
इन केकड़ों के कवच में उनके दिल के पास छेद करने के बाद तीस फीसदी खून निकाल लिया जाता है। इसके बाद केकड़ों को वापस समुद्र में छोड़ दिया जाता है। लेकिन, कई अध्ययन यह बताते हैं कि इस प्रक्रिया में 10-30 फीसदी केकड़े मर जाते हैं और बचे हुए मादा केकड़ों को प्रजनन में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। केकड़ों की यह खासियत ही उनके अस्तित्व के लिए खतरा बन गई है और बीते 40 सालों में केकड़ों की जनसंख्या में कथित तौर पर 80 फीसदी की कमी आई है।
