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चाईबासा:झारखंड सरकार द्वारा एक ओर जहां शराब की बिक्री को वैध करने के लिए प्रदेशभर में 4,496 खुदरा शराब दुकानों, 249 बार-रेस्टोरेंट, और 55 थोक लाइसेंस जारी किए गए हैं, वहीं दूसरी ओर गांव-गांव और स्कूलों तक नशा मुक्ति अभियान चलाया जा रहा है। उक्त बातें भाजपा नेता दुवारिका शर्मा ने कही।

उन्होंने कहाकी प्रदेश के स्कूलों, महाविद्यालयों, गांवों, पंचायतों और सरकारी कार्यालयों में “नशा मुक्त झारखंड” के नारे के साथ जनजागरण अभियान चल रहा है। स्वयं सरकारी कर्मचारी, शिक्षक, और अधिकारी सड़कों पर उतरकर रैलियां निकाल रहे हैं और छात्रों को नशे के दुष्परिणाम समझा रहे हैं।

चौंकाने वाली सच्चाई:

सरकार स्वयं नशे के व्यापार को लाइसेंस के ज़रिए बढ़ावा दे रही है।

वहीं दूसरी ओर वही सरकार, जनता के पैसे से नशा विरोधी कार्यक्रम भी चला रही है।

सरकार ने साल 2024-25 में शराब से राजस्व में 3,000 करोड़ रुपये से अधिक की आय की पुष्टि की है।

जनता का सवाल:

जब सरकार खुद ही शराब बेच रही है, तो नशा मुक्ति अभियान का उद्देश्य क्या है?

क्या यह महज़ दिखावा है या फिर युवाओं को भ्रम में डालने की नीति?

सामाजिक कार्यकर्ताओं का मत:

राज्य सरकार का यह दोहरा रवैया चिंताजनक है। एक ओर युवाओं को नशे से दूर रखने की बात होती है, दूसरी ओर हर मोहल्ले में शराब दुकानें खोल दी गई हैं। यह नीति न समाज हित में है और न ही राज्य के भविष्य के लिए सुरक्षित।

निष्कर्ष:

झारखंड की जनता आज इस दोहरे चरित्र से सवाल कर रही है

“शराब बेचकर राजस्व कमाने वाली सरकार, क्या सच में नशा मुक्त झारखंड चाहती है?”

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