नई दिल्ली: भारत ने वैश्विक सैन्य इतिहास में एक नया अध्याय रच दिया है। वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मॉर्डन मिलिट्री एयरक्राफ्ट (WDMMA) की नवीनतम रैंकिंग में भारतीय वायुसेना ने चीन को पछाड़ते हुए दुनिया की तीसरी सबसे शक्तिशाली वायुसेना का स्थान हासिल कर लिया है। इस रैंकिंग में अमेरिका अभी भी पहले और रूस दूसरे स्थान पर कायम है। चीन, जो पहले तीसरे स्थान पर था, अब चौथे पायदान पर पहुंच गया है।
WDMMA की इस वैश्विक रिपोर्ट में 103 देशों की 129 वायु सेनाओं का विश्लेषण किया गया है, जिसमें सेना, नौसेना और नेवल एविएशन ब्रांच भी शामिल हैं। कुल 48,082 सैन्य विमानों के डेटा पर आधारित यह रैंकिंग न केवल बेड़े की संख्या, बल्कि उसकी लड़ाकू क्षमता, परिचालन दक्षता, आधुनिकीकरण, और प्रशिक्षण स्तर का भी मूल्यांकन करती है।
भारत का उदय : एशिया में बदला शक्ति संतुलन
भारत का यह उभार एशिया के सामरिक संतुलन में एक नाटकीय बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। WDMMA के अनुसार, भारतीय वायुसेना की ट्रूवैल रेटिंग (TVR) 69.4 है, जबकि चीन की रेटिंग घटकर 58.1 पर आ गई है। यह अंतर केवल विमानों की संख्या में नहीं, बल्कि ऑपरेशनल रेडीनेस, टेक्नोलॉजी उपयोग और रणनीतिक क्षमताओं में भारत की बढ़त को दर्शाता है।
भारतीय वायुसेना के पास वर्तमान में 1,716 विमान हैं, जिनमें 31.6% लड़ाकू विमान, 29% हेलीकॉप्टर, और 21.8% ट्रेनर एयरक्राफ्ट शामिल हैं।
भारत के पास रूस, अमेरिका, फ्रांस और इजरायल में बने अत्याधुनिक विमान हैं, जिनसे वह एक संतुलित और बहु-आयामी वायु शक्ति बनाए हुए है।
ऑपरेशन सिंदूर से झलकी भारतीय शक्ति
भारतीय वायुसेना की वास्तविक ताकत मई 2025 में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देखने को मिली। पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में हुए इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने दर्जनों सटीक हमले कर दुश्मन के कम से कम एक दर्जन एयरबेस और रडार स्टेशन ध्वस्त कर दिए थे। इस मिशन ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारतीय वायुसेना न केवल तेज़, बल्कि अत्याधुनिक तकनीक और सटीक हमले की क्षमता से भी लैस है। पाकिस्तान को जवाबी हमला करने का मौका तक नहीं मिला।
अमेरिका का दबदबा बरकरार
अमेरिकी वायुसेना अभी भी वैश्विक स्तर पर सबसे आगे है। TVR 242.9 के साथ वह शीर्ष पर बनी हुई है। अमेरिकी नौसेना भी दूसरे स्थान पर है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि देश के हिसाब से अमेरिका पहले स्थान पर है। वहीं, रूस 142.4 TVR के साथ दूसरे और भारत तीसरे स्थान पर काबिज है।
वैश्विक रक्षा परिदृश्य
वैश्विक ओपन-सोर्स डिफेंस थिंकटैंक Janes के अनुमान के अनुसार, वर्ष 2025 के अंत तक दुनिया का कुल रक्षा खर्च 3.6% बढ़कर 2.56 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। इस बढ़ोतरी से साफ है कि आधुनिक युद्ध रणनीतियों में वायु शक्ति की भूमिका निर्णायक होती जा रही है।
भारत और चीन दोनों ही क्षेत्रीय तनाव और बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्यों को देखते हुए अपनी वायु सेनाओं के आधुनिकीकरण पर तेजी से काम कर रहे हैं।
विशेषज्ञों की राय
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह रैंकिंग केवल भारत की सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि उसके रणनीतिक दृष्टिकोण और आत्मनिर्भरता अभियान की सफलता का प्रतीक है। हाल के वर्षों में राफेल, तेजस, सुखोई-30 एमकेआई और C-295 जैसे विमानों के बेड़े ने भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता में जबरदस्त बढ़ोतरी की है।
भारत का दुनिया की तीसरी सबसे शक्तिशाली वायुसेना बनना केवल एक रैंकिंग नहीं, बल्कि एक नई वैश्विक हकीकत है। यह उपलब्धि न केवल भारतीय सेना की सामरिक क्षमता का प्रमाण है, बल्कि भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय स्थिति और आत्मनिर्भर रक्षा नीति की सफलता का भी संकेत देती है।
भारत के पास दुनिया की तीसरी सबसे ताकतवर वायुसेना, चीन चौथे नंबर पर खिसका











