अदिवासियों पर हो रहे अत्याचार को लेकर राष्ट्रीय अदिवासी छात्र संघ ने निकाला आक्रोश मार्च एवं पुतला दहन किया ।

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हजारीबाग:- झारखण्ड में लगातार आदिवासियों पर हो रहे हमले पर चुप्पी साधने वाले सरकार के विरुद्ध एवं मणिपुर के आदिवासियों महिलाओं पर हुए अत्याचार और हिंसा के खिलाफ राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ एवं जय सरना ट्रस्ट के द्वारा केंद्र सरकार ,मणिपुर सरकार और साथ में झारखंड सरकार के खिलाफ भी पुतला दहन किया।सरकार विरोधी नारे लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहमंत्री अमित शाह और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन विरेन सिंह और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पुतले लेकर बिरसा चौक से शुरुआत करके जिला बोर्ड चौक में पुतला दहन किया ।

इस मौके पर राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ के राष्ट्रीय महासचिव श्री विक्की कुमार धान ने कहा – पूरे भारत में आदिवासियों को निशाना बनाया जा रहा हैं , कही आदिवासियों पर पेशाब किया जा रहा है तो कहीं आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया जाता है और झारखण्ड जैसे राज्य में तो सीधे गोली मार दी जाती है, हाल ही में रांची में आदिवासी नेता सुभाष मुंडा कि गोली मारकर हत्या कर दिया गया, और रामगढ़ में दीपक मुंडा पर हमला, हजारीबाग में आदिवासी महिला को भू माफियों द्वारा जानलेवा हमला , ये सारी घटनाएं साफ साफ दर्शाता हैं कि लोगों का आदिवासी को किस नज़र से देखते हैं।

झारखण्ड में कहने को तो आदिवासी मुख्यमंत्री हैं पर ये सरकार आदिवासियों की हित में कुछ कर नहीं रही है येन केन प्रकारेन सिर्फ़ बाहरियों के लिए काम कर रही है अभी तक सरकार ने आदिवासियों की सुरक्षा के लिए कुछ करना तो दूर की बात हमेशा ट्विटर पर एक्टिव रहने वाले हेमंत सोरेन ने एक ट्वीट तक नहीं किया , अगर हेमंत सोरेन को आदिवासी समाज मुख्यमंत्री बना सकती है तो फिर उसे गिराने का भी ताकत रखती हैं, हेमंत सोरेन ये बात कान खोल कर सुन ले आदिवासी ना ही बोका है और ना ही तुमको वोट करने के लिए मजबूर संभल जाओ कोई बाहरी मुसीबत में साथ नहीं देगा आदिवासी ही आखिर में काम आएगा इसी लिया काम कीजिए।।

जिला अध्यक्ष अर्जुन केरकेट्टा ने कहा जिस तरह से देश का माहौल है लगता है कोई जंग चल रही है मणिपुर कि घटना ने पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया है कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है मणिपुर में भी बीजेपी की सरकार और केंद्र में भी बीजेपी फिर भी सरकार पूरी तरह से विफल देश की राष्ट्रपति एक आदिवासी महिला है पर कोई संवेदना नहीं ,मणिपुर में धारा 356 के तहत राष्ट्रपती शासन लागू कर देना चाहिए पर बीजेपी को सत्ता के आगे कुछ दिखाई नहीं देता है शर्म करो कम से कम अपने पूर्वजों का तो लाज रखो एक बार पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई ने कहा था सत्ता तो आती जाती रहेगी पर ये देश रहना चाहिए और यहां के लोग सुरक्षित रहने चाहिए।

राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ के केन्द्रीय उपाध्यक्ष श्री आनंद मरांडी जी ने कहा – अगर केन्द्र और राज्य सरकार आदिवासियों की सुरक्षा के लिए कुछ नहीं कर सकते तो उन्हें सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है हम इस देश के मालिक हैं हम यहां के मूल निवासी हैं और हमपर सब अत्याचार ये हम नहीं सहेंगे ।

राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ जिला महासचिव विक्की करमाली।

मणिपुर की घटना की जितनी भी निंदा की जाय ओ कम है, ए मानवता को शर्मशार करने वाली घटना है, और सबसे बड़ी बात यह हे की ऐसी कृतज्ञ घटना घटने के बाद भी अभी तक उन अपराधियों पर सरकार का कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखी, और इस घटना का कोई भी पार्टी या समुदाय के लोग इसका विरोध नही किया है ये उससे भी गलत बात है,पार्टी सिर्फ आदिवासियो को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करना जानती है, एसी घटना में सभी पार्टियों को इसकी निंदा करनी चाहिए, अगर झारखंड में ऐसा रहा तो सभी पार्टियों का अंत निश्चित है,और झारखंड में सिर्फ आदिवासी पार्टी का विस्तार होगा।

अधिवक्ता किरण मुंडा ,(जय सरना ट्रस्ट) कि केंद्रीय सचिव सह सरना धर्म अगुआ कोयलांचल क्षेत्र रामगढ़।ने कहा कि मणिपुर कि घटना पुरे देश के सभी जाति धर्म को शर्मशार कर दिया है कि आज भी ये आज़ाद भारत देश के अंदर ये अत्याचार हो रहे हैं, झारखंड में आदिवासी अगुआ जैसे सुभाष मुंडा,दिपक मुंडा को दिनदहाड़े हत्या कर दी जाती है और सभी राजनितिक पार्टीयां सिर्फ अपनी रोटी सेकने में लगी हुई है जिसकी दलाली प्रत्येक प्रशासन करती है,एसी घटनाओं का जिम्मेदार भी एसे ही लोग हैं। आदिवासी समाज को कभी न्याय नहीं मिलता।

अर्जुन उरांव

मैं उन लोगों से कहना चाहूंगा जो कोई आदिवासी महिलाओं एवं अन्य महिलाओं पर बलात्कार जैसे अत्याचार करने को अपने आप को अगर मर्द समझते हैं तो मैं कहना चाहूंगा अगर मर्द ऐसे होते हैं तो थूकता हूं ऐसे मर्दानगी पर /

एवं सुभाष दादा के हत्यारों से कहना चाहूंगा कि हमें मजबूर ना करें अन्यथा क्या करेंगे सोच नहीं सकते ‌। आप इतिहास उठाकर देख लीजिए 1820 का कोल्हान में आदिवासियों के सामने अंग्रेजी एवं आर्य राजा महाराजा सरेंडर कर घुटने टेक दिए थे

एवं केंद्र सरकार से कहना चाहूंगा विभिन्न राज्यों में आदिवासियों पर अत्याचार को देखते हुए ।। लगता है आज भारत देश की राजनीति में आदिवासियों की कोई अहमियत नहीं है तो सुन ले हम आदिवासी प्राकृतिक हैं और हम प्राकृतिक से हैं

इस मौके पर मुख्य रूप से. राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ के जिला अध्यक्ष अर्जुन केरकेट्टा , जिला कार्यकारी अध्यक्ष अनिल तिर्की , सचिव मनीश मिंज , कोषाध्यक्ष प्रदीप उरांव , मिडिया प्रभारी नितेश उरांव , विनोबा भावे विश्वविद्यालय अध्यक्ष रोशन कुमार टोप्पो, कार्यकारी अध्यक्ष राहुल बान्डो, सचिव खुशबु टोप्पो , संत कोलंबस कोलेज अध्यक्ष कुनाल हंसदा , जिला सदस्य दिनेश प्राधान , आरती गाड़ी, नेहा उरांव , सबिता उरांव, निशा लिण्डा , सोनु धान, पिन्टु उरांव, बिमल गाड़ी, प्रावेश उरांव, आदि उरांव, प्रवेश खलखो ऊषा लिण्डा, मनिशा उरांव, रवि रंजन मांझी आदिवासी नेता, पवन उरांव ,मनीश उरांव, बबलु , उरांव,अनमोल खलखो , अनिल उरांव, आकाश संगा ,संदीप गंझु, ,सुरज उरांव, अजय कुमार, संहेंद्र उरांव, शिवकुमार उरांव ,रवि उरांव, राजेश उरांव, अमित उरांव, रंजिश उरांव, रोहित उरांव, बबलु उरांव ,रंजित उरांव आदि सामिल थे और सैकड़ों कि सांख्य में राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ के कार्यकर्ता मौजूद थे।।

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