लद्दाख: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर चल रहे प्रदर्शन बुधवार को हिंसक रूप ले गए। हिंसा में चार नागरिकों की मौत की खबर है जबकि लगभग 70 लोग घायल हुए हैं — जिनमें से करीब 30 पुलिस और सीआरपीएफ के जवान भी शामिल बताए जाते हैं। घटनास्थल पर तनाव फैलने के बाद सुरक्षा बलों ने कड़ी कार्रवाई कर स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिश की।
घटना के बाद भाजपा ने कहा कि इस हिंसा के पीछे कांग्रेस की साजिश थी। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए कांग्रेस और उसके शीर्ष नेतृत्व पर देशविरोधी इरादों का आरोप लगाया। पात्रा ने दावा किया कि लद्दाख में हुए दंगे कांग्रेस की पूर्व योजना का हिस्सा थे और इसे बाहरी ताकतों तथा अंतरराष्ट्रीय फंडेड एजेंडों से जोड़कर पेश किया जा रहा है।
पात्रा ने पत्रकारों से कहा कि शुरुआती जांच यह संकेत देती है कि विरोध प्रदर्शन ‘जेन जी’ (जन समूह/नेटवर्क) द्वारा संचालित नहीं थे, बल्कि कांग्रेस के प्रभाव वाले घटकों ने इन्हें भड़काया। उन्होंने आरोप लगाया, “कांग्रेस की मंशा खराब है… यह जार्ज सोरोस के साथ राहुल गांधी की साजिश है। चूंकि वह जनता से समर्थन नहीं पा सकते, इसलिए देश को तोड़ने की साजिश रची जा रही है।” उन्होंने यह भी कहा कि कुछ प्रदर्शनकारियों के हाथों में हथियार पाए गए और पार्टी कार्यालयों तथा अन्य लक्ष्यों की ओर इशारा करते हुए भीड़ को उकसाया गया।
पात्रा ने कुछ तस्वीरें और वीडियो भी मीडिया को दिखाए, जिनमें उन्होंने दावा किया कि स्थानीय कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को प्रदर्शन भड़काते और भाजपा कार्यालयों की ओर उन्मुख करते हुए देखा गया। भाजपा ने इन बिंदुओं को मुख्य षड्यंत्र का सबूत बताने की कोशिश की है।
वहीं, प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है तथा हिंसा में शामिल मुख्य लोगों की पहचान करने और सच्चाई उजागर करने के लिए फोरेन्सिक और मोबाइल फुटप्रिन्ट जांच समेत कई रास्ते अपनाए जाने की बात कही जा रही है। सुरक्षा बलों ने प्रभावित इलाकों में संवेदनशील स्थलों पर अतिरिक्त तैनाती कर दी है और शांति बहाल करने के निर्देश जारी किए हैं।
घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है; कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। मृतकों की पहचान और उनके अंतिम संस्कार/परिवार के बयान अभी तक आधिकारिक रूप से जारी नहीं किए गए हैं। चिकित्सा और आपात सेवा टीमें प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय हैं।
राजनीय परिदृश्य पर इस घटना का तेज असर देखा जा रहा है — भाजपा का आरोप और कांग्रेस पर उठ रहे सवालों ने माहौल और गर्म कर दिया है। दूसरी ओर, कांग्रेस की तरफ से घटनाक्रम पर अभी तक कोई विस्तृत आधिकारिक बयान सार्वजनिक नहीं हुआ है। (यदि पार्टी से आधिकारिक प्रतिक्रिया मिलती है तो उसे अपडेट किया जाएगा।)
पृष्ठभूमि
लद्दाख में लंबे समय से स्थानीय प्रतिनिधित्व, संसाधन नियंत्रण और संवैधानिक दर्जे जैसे मसले पर राजनीतिक चर्चा रहती आई है। छठी अनुसूची के तहत क्षेत्रीय स्वायत्तता तथा स्थानीय जनजातीय अधिकार जैसे मुद्दों को शामिल करने की मांगें समय-समय पर उठती रही हैं। हालिया सप्ताहों में राज्य का दर्जा व छठी अनुसूची में समावेशन की मांगों को लेकर सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन तेज हुए थे, जो बुधवार को हिंसक संघर्ष में तब्दील हो गए।
क्या आगे हो सकता है
प्रशासन की प्रारम्भिक कहा — स्थिति नियंत्रण में लाने के बाद भी विस्तृत जांच जारी रहेगी। उच्च सरकारी स्तर पर भी इस घटना की समीक्षा की संभावना है और सुरक्षा-विशेषज्ञों, स्थानीय नेताओं व प्रशासन के बीच स्थिति स्थिर करने के उपायों पर चर्चा की जा सकती है। इसके अतिरिक्त, हिंसा के कारण उठ रहे राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच मीडिया ट्रायल और सामाजिक मीडिया पर भावनात्मक प्रतिक्रियाएँ बढ़ने की आशंका बनी हुई है, इसलिए अधिकारियों ने शांति व संयम बनाए रखने का आवाहन किया है।