वाशिंगटन: वैज्ञानिकों ने एक और संभावित विपदा को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है। वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए ताजा शोध में पता चला है कि चीन में खोजा गया एक नया कोरोनावायरस – HKU5-CoV-2 – इंसानों में महामारी फैलाने से सिर्फ एक छोटा सा म्यूटेशन (जेनेटिक बदलाव) दूर है। फिलहाल यह वायरस चमगादड़ों में पाया गया है, लेकिन वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि HKU5-CoV-2 नाम का यह वायरस इंसानों को संक्रमित कर सकता है। यह वायरस MERS (Middle East Respiratory Syndrome) से मिलता-जुलता है। जो अब तक इंसानों में पाए गए सबसे घातक वायरस में से एक रहा है और जिसकी मृत्यु दर लगभग 33% है। यदि ये इंसानों में फैलने लगे, तो परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं।
HKU5-CoV-2 वायरस को सबसे पहले चीन के दक्षिणी और पूर्वी क्षेत्रों में चमगादड़ों में पाया गया था। इसे वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के शोधकर्ताओं ने पहचाना था। यह वही लैब है, जहां से कोविड-19 के लीक होने की आशंका जताई जाती है।
HKU5-CoV-2 वायरस के “स्पाइक प्रोटीन” (Spike Protein) में अगर कुछ मामूली जेनेटिक बदलाव हो जाएं, तो यह वायरस इंसान की ACE2 कोशिकाओं से चिपक सकता है। ये ACE2 रिसेप्टर्स हमारी नाक, मुंह और गले में पाए जाते हैं – यही वही स्थान हैं जहां से COVID-19 जैसे वायरस प्रवेश करते हैं। शोध में यह भी देखा गया कि जब तक वायरस में ये विशेष म्यूटेशन नहीं होते, तब तक मानव कोशिकाएं उस पर प्रतिक्रिया नहीं देतीं। लेकिन यदि यह वायरस किसी मिंक या सिवेट बिलाव जैसे मध्यस्थ जानवर में प्रवेश करता है, तो यह वहां आवश्यक म्यूटेशन लेकर इंसानों तक पहुंच सकता है। HKU5-CoV-2 नामक यह नया वायरस भले ही अभी तक इंसानों को बड़े स्तर पर संक्रमित नहीं कर पाया हो, लेकिन यह खतरे की घंटी जरूर है। यह वायरस महज एक छोटा बदलाव दूर है, और दुनिया फिर से महामारी की आगोश में आ सकती है।