रिम्स डायरेक्टर डॉ राजकुमार को हटाने पर बाबूलाल और विधायक सरयू ने उठाए गंभीर सवाल
रिम्स के निदेशक डॉ राजकुमार को हटाए जाने पर झारखंड की सियासत फिर एक बार गर्म हो गई है। एक ओर तो भारतीय जनता पार्टी प्रतिपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी और विधायक सरयू राय ने भी गंभीर सवाल उठा दिए हैं। वहीं दूसरी है डॉक्टर राजकुमार ने भी इसके खिलाफ बयान देकर माहौल को और गर्म कर दिया है। उनका कहना है कि उनके खिलाफ की गयी कार्रवाई सख्ती से काम करने का नतीजा है।स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी पर उन्होंने कहा कि वह तो कुछ भी बोलते हैं।
वहीं, इस मामले पर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. उन्होंने कहा है कि स्वास्थ्य मंत्री और विभागीय अधिकारियों के भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की वजह से डॉ राजकुमार पर यह कार्रवाई हुई है.
भाजपा के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने डॉ राजकुमार को रिम्स निदेशक के पद से हटाने के मामले में एक बार फिर से हेमंत सरकार पर हमला बोला है। इसको लेकर बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया के अपने X अकाउंट पर पोस्ट किया है। पोस्ट के जरिये बाबूलाल मरांडी ने कहा कि ” रिम्स निदेशक के हवाले से आयी ख़बरों से पता चल रहा है कि जीबी की बैठक में उनपर हेल्थमैप और और मेडाल को अनुचित भुगतान करने का मौखिक दवाब बनाया जा रहा था, जबकि एजी की ऑडिट में इसपर ऑबजेक्शन किया जा चुका है। दलित समुदाय से आने वाले इस प्रतिभावान रिम्स निदेशक को अपमानित एवं प्रताड़ित कर बिना कारण पूछे एवं अपना पक्ष रखने का मौका दिये बगैर अकस्मात हटाने की यह बड़ी वजह बनी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन में अगर हिम्मत है तो इस मामले की जांच CBI से कराने का आदेश देकर सच्चाई को सामने आने दें।चाहे पथ निर्माण विभाग हो या भवन निर्माण विभाग। ग्रामीण विकास विभाग हो या पेयजल विभाग। इन जैसे सारे “कामकाजी विभागों” में कहने के लिये तो ठेके-पट्टे देने एवं भुगतान करने के लिये विभागीय कमेटियाँ बनी हुई हैं, लेकिन हेमंत सोरेन के कार्यकाल में ऐसे सारे “कामकाजी कमाऊ” विभागों में ठेकेदारों का चयन, कार्य आवंटन, भुगतान से लेकर कार्य आवंटन के बाद अतिरिक्त काम के नाम पर एकरारनामा की राशि बढ़ाकर बढ़ी हुई राशि का बंदर बॉंट कराने का काम सत्ताधारियों की मिलीभगत से विभागीय सचिवों के मौखिक निर्देश एवं दवाब पर ही संचालित एवं नियंत्रित किया जाता रहा है। और इससे जो काली कमाई होती है उसका हिस्सा “उपर” तक जाता है।
इस गोरखधंधे में पकड़े जाने पर बेचारे नीचे के पदाधिकारी दंडित हो जाते हैं। जो अधिकारी सचिवों के कहने पर ग़लत काम करने से आनाकानी करते हैं उन्हें रिम्स निदेशक राजकुमार जी की तरह बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। हेमंत सोरेन जी, ठेके-पट्टे आवंटन और भुगतान में इस संगठित एवं सुनियोजित लूट के गोरखधंधे को बंद कराने के लिये सख्त कदम उठाइये।”
वहीं विधायक सरयू राय ने रिम्स निदेशक डॉ राजकुमार को रिम्स निदेशक पद से हटाने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई इसलिए की गयी क्योंकि उन्होंने दो दिन पूर्व रिम्स शासी निकाय की हुई बैठक में करोड़ों के गलत भुगतान करने का सरकारी आदेश नहीं माना और सही बात कह दी. उनके द्वारा रिम्स में किया जा रहा सुधार सरकार को रास नहीं आया.
जबकि रिम्स के पूर्व निदेशक राजकुमार ने सरकार के निर्देश और बदनामी करने के आरोपों पर कहा कि अगर यह कोई सिद्ध कर दे तो वह भारत छोड़कर चले जाएंगे. स्वास्थ्य मंत्री द्वारा काम नहीं करने की बात पर उन्होंने कहा : वह तो कुछ भी कहते हैं. हमारे पास तो जीबी की प्रक्रिया की पूरी रिकार्डिंग है, जरूरत पड़ी तो चलवायेंगे.
पूर्व निदेशक बोले- जीबी के दौरान ही इस्तीफा मांगते तो दे देता
रिम्स के पूर्व निदेशक राजकुमार ने कैबिनेट की बात नहीं मानने के सवाल पर कहा कि मैं कैबिनेट से ऊपर हूं, क्या? जबर्दस्ती कोई चार्ज थोपने से चलता है क्या? अगर जीबी के दौरान ही इस्तीफा मांगते तो दे देता, लेकिन ऐसी कार्रवाई तो स्वीकार नहीं है.
बहरहाल माना जाता है कि विधायक सरयू राय पहले से ही विख्यात है की जो मामला उठाते हैं वह पक्के तौर पर उनके सबूत के आधार पर उठाते हैं और उसका अंजाम तक पहुंचाते हैं और सजा करवा कर ही रहते हैं। अब देखना है इस मामले में क्या होता है।
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