खटिक समाज ने केंद्रीय मंत्री विरेंद्र कुमार खटीक को लिखा पत्र
Jamshedpur: झारखंड में खटीक जाति को ओबीसी श्रेणी-1 में रखा गया है. उस पर भी सरकार ने आज तक किसी तरह की कोई सुविधा नहीं दी है और ना ही हमें झारखंड का निवासी मानती है, हमारे बच्चों का, ओबीसी का सर्टिफिकेट भी नहीं बनता है. कभी 1932 का खतियान मांगा जाता है कभी 1964 का। उक्त बातें अखिल भारतीय खटीक समाज के झारखंड धनबाद संरक्षक रमेश सोनकर ने कही। उन्होंने इस संदर्भ में अपनी समाज की ओर से केंद्रीय मंत्री विरेंदर कुमार खटीक को ज्ञापन भेजा है।
ज्ञापन के माध्यम से कहा गया है कि हम अपने बच्चों को उच्च शिक्षा नहीं दिला सकते, जबकि हमारा कारोबार निम्न स्तर का है. फल बेचना, सब्जी बेचना, मछली बेचना, बकरे का मांस बेचना, सूकर (सुअर) पालना और उसका मांस बेचना (ग्रामीण क्षेत्रों से कही कही) आज भी होता है। गैरेज में बच्चों को काम करवाना इत्यादि।
2012 में झारखंड सरकार ने एक अध्यादेश पारित कर खटीक जाति पर जो कि 080-1 में है उस पर “सीएनटी एक्ट लागू कर दिया।
भारत सरकार का दृढ़ संकल्प है लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने का। भारत के 13 राज्यो में खटिक जाति को अनुसूचित जाति (SC) की श्रेणी में शामिल किया गया है। झारखंड में खटिक समाज का दुर्भाग्य है कि किसी तरह बच्चों को यदि पढ़ा लिखा कर मैट्रीक इंटर तक की पढ़ाई करा भी लेते हैं तो आगे की पढाई आर्थिक स्थिती अच्छी नहीं होने के कारण हस नहीं पढ़ा पाते हैं। इस तरह झारखंड सरकार के विकास की राजनीति में खटिक समाज का कोई योगदान नहीं होता है। कुछ प्रतिभाये यहाँ भी हैं, लेकिन उचित मंच नही मिल पाता है। हमारे समाज में एक भी पार्षद इंजीनियर, डाक्टर, वकील, एम पी, एम एल ए भी नही है, अतः हमारी राजनैतिक भागीदारी शून्य है। जिसका मुख्य कारण है आर्थिक शैक्षणिक, समाजिक और राजनैतिक रूप से पिछडापन का होना जिसका दंश आज हमारी चौथी पीढ़ी भुगत रहा है। भारत के तेरह राज्यों के तुलना में हम झारखंड में आज भी पिछले पायदान पर ही खडे है। सरकार की ढुलमूल नीति से हमारे बच्चों की प्रतिभाये दम तोड़ रही है। हमारे समाज का एक भी सामुदायिक भवन नहीं है न ही कोई समाज के तरफ से प्रयास करने वाला योग्य व्यक्ति है।
जब, 2019 में बाघमारा (धनबाद) के बीजेपी विधायक माननीय श्री दुल्लु महती जी (वर्तमान में सांसद हैं) ने खटिक समाज के लोगों से धनबाद में सम्पर्क किया तो पाया कि सैकड़ों वर्षों से झारखंड में रह रहे खटिक समाज के लोगों की आर्थिक, शैक्षणिक एवं राजनैतिक स्थित बहुत ही दयनीय है। इस विषय पर माननीय विधायक जी ने संज्ञान लिया और सदन में इसकी चर्चा की। 21 जनवरी 2019 को, सरकार ने खटिक जाति का सर्वे करवाने का आदेश पारित किया। नवम्बर 2023 से लेकर फरवरी 2024 तक सर्वे का कार्य, सरकारी अधिकारी डाः शब्बीर हुसैन जी एवं संजय कुमार मेहता जी के देख-रेख में झारखंड के 18 जिलों में सर्वे का कार्य सम्पूर्ण हुआ। जिसमें सभी जिला के खटीक समाज के लोगों ने सहयोग किया।
जिसकी रिपोर्ट भी झारखंड सरकार को अप्रैल 24 में सौंप दी गई है।
अतः माननीय महोदय जी से निवेदन है कि दम तोडते खटिक समाज के 4rth generation युवा पीढ़ी के युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुये, हमें भी अनुसूचित जाति की श्रेणी में अन्य राज्यो की भाँति सम्मिलित करवाया जाय।
30-40 वर्षों से प्रयास के बाद आज स्थिति यहाँ तक पहुँची है कि झारखंड में खटिक जाति का सर्वे हुआ है।
अतः केंद्रीय सरकार से हम अपने समाज के लिए “न्याय और अधिकार” की आशा रखते हैं।