मणिपुर:महिलाओं के साथ दरिंदगी,पूर्व सांसद सालखन ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की

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जमशेदपुर:मणिपुर के आदिवासी महिलाओं के साथ हुई दरिंदगी, बलात्कार और हत्या पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने मणिपुर सरकार को अविलंब बर्खास्त करने की मांग करते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।

उन्होंने कहा कि

1) मणिपुर में 4 मई 2023 की वीडियो द्वारा जो कुछ देश के सामने अभी आया है। वह दिल को दहलाने वाला है, पीड़ादायक है, मानवता को शर्मसार करता है। इसके लिए और अबतक जारी हिंसा के लिए राज्य सरकार को दोषी मानना गलत नहीं होगा। अतएव हमारी मांग है मणिपुर सरकार को अविलंब बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए।

2) मणिपुर हिंसा के पूरे प्रकरण को माननीय सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज या सुप्रीम कोर्ट के निगरानी में सीबीआई से जांच की जाए। चूँकि अब तक मणिपुर हिंसा के पीछे बहुसंख्यक ऊंची मैतेई जाति का प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष समर्थन हो सकता है। मुख्यमंत्री भी इसी जाति से हैं और यह जाति अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त करने को व्याघ्र है। जिससे पहले से अनुसूचित जनजाति सूची (ST) में शामिल कुकी एवं अन्य जातियों के समक्ष मरता क्या नहीं करता वाली स्थिति बना दी गई है।

3) ST की मांग के लिए हुए प्रदर्शन के दौरान पूर्व में असम की राजधानी गुवाहाटी के बेलतोला में 24 नवंबर 2007 को एक आदिवासी महिला लक्ष्मी उरांव को भी नंगा कर सारे आम अपमानित किया गया था। उनके अपराधियों पर अब तक ना कोई जांच हुई ना सजा। यह मामला भी असम के झारखंडी आदिवासियों द्वारा लगभग 10,000 की संख्या में असम की राजधानी गुवाहाटी के बेलतोला में एक जनसभा और रैली के दौरान हुई थी। ईसके पीछे असम सरकार के हाथ होने का शंका बनता है। इसकी भी सीबीआई जांच अनिवार्य है।

4) मणिपुर हिंसा के पीछे असली आदिवासियों के अस्तित्व, पहचान और हिस्सेदारी का मामला छिपा हुआ है। इसे देश को गंभीरता से समझने की जरूरत है। अन्यथा आदिवासियों का नरसंहार निश्चित है। आदिवासियों को प्रदत संवैधानिक आरक्षण के बगैर उन्हें न्याय, सुरक्षा और समानता नहीं मिल सकती है। मगर यदि कतिपय ऊंची जातियां और बड़ी संख्या वाली जातियां खुद अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा हड़प कर आदिवासी आरक्षण के कवच में घुसपैठ करेंगे तो असली आदिवासियों का नरसंहार निश्चित है।

5) फिलवक्त मणिपुर हिंसा को शांत करने के लिए अन्य सभी उपयोगी उपायों पर त्वरित क्रियान्वयन की जाय। परन्तु आदिवासी सेंगेल अभियान की मांग है किसी भी नई जाति को एसटी का दर्जा देने की प्रक्रिया को अगले 30 वर्षों तक बंद रखा जाए। साथ ही किसी भी नई जाति को एसटी में शामिल करने के पूर्व यह गारंटी करना जरूरी है कि पूर्व से शामिल असली एसटी का अस्तित्व, पहचान, हिस्सेदारी आदि अक्षुण रखा जा सके।

कृप्या मणिपुर हिंसा पर आपको 6.5.23 को प्रेषित हमारे पत्र का अवलोकन करें ताकि मणिपुर हिंसा के पीछे छिपे असली आदिवासियों के दर्द को समझा जा सके। ताकि मणिपुर का आग अन्य आदिवासी बहुल राज्यों की ओर न फैल सके।

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