गढ़वा: गढ़वा पुलिस ने सोमवार को बिहार के सासाराम विधानसभा क्षेत्र से राजद प्रत्याशी सत्येंद्र साह को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। सत्येंद्र साह वर्ष 2004 में गढ़वा थाना क्षेत्र में हुए बैंक कैश वैन लूटकांड के मुख्य आरोपितों में से एक हैं। वह लंबे समय से फरार चल रहा था और उसके खिलाफ गढ़वा न्यायालय से स्थायी वारंट जारी था।
जानकारी के अनुसार, सत्येंद्र साह बिहार के रोहतास जिले के करहगर थाना क्षेत्र अंतर्गत बालापुर गांव के निवासी हैं। सोमवार को बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के नामांकन के अंतिम दिन वे सासाराम में राजद प्रत्याशी के रूप में नामांकन करने पहुंचा था। इसी दौरान, जैसे ही वे निर्वाची पदाधिकारी के कार्यालय से बाहर निकला, पहले से सतर्क करहगर थाना पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
करहगर थाना पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद सत्येंद्र साह को गढ़वा पुलिस के हवाले कर दिया। गढ़वा पुलिस ने आवश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी कर उसे देर शाम न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें गढ़वा मंडल कारा भेजने का आदेश दिया गया।
2004 का बैंक लूटकांड
छह दिसंबर 2004 की दोपहर लगभग 2:45 बजे गढ़वा-श्रीबंशीधर नगर मार्ग पर चिरौंजिया मोड़ के पास एसबीआई भवनाथपुर शाखा की कैश वैन से 10 लाख रुपये लूट लिए गए थे। दो मोटरसाइकिलों पर सवार छह अज्ञात अपराधियों ने इस वारदात को अंजाम दिया था।
लूट के दौरान अपराधियों ने कैशियर के साथ मारपीट की और बैंक गार्ड को गोली मार दी। जवाबी कार्रवाई में गार्ड ने भी फायरिंग की, लेकिन अपराधी वैन को कब्जे में लेकर बीएसएनएल टावर के पास पहुंचे और कैश लेकर फरार हो गए।
बैंक कैशियर प्रेम कुमार चौधरी के बयान पर गढ़वा थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पुलिस जांच में सत्येंद्र साह का नाम सामने आया, जो उस समय से फरार चल रहा था। उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 395, 397 और 120बी के तहत मामला दर्ज हुआ था।
कुर्की-जप्ती और स्थायी वारंट
लंबे समय तक गिरफ्तारी नहीं होने के कारण न्यायालय ने 2018 में उनके खिलाफ स्थायी वारंट जारी किया था। इससे पहले उनके खिलाफ सीआरपीसी 82 के तहत कुर्की-जप्ती की कार्रवाई भी की गई थी। सत्येंद्र साह ने अप्रैल 2023 में गढ़वा जिला एवं सत्र न्यायालय में एंटीसिपेटरी बेल की अर्जी दी थी, लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था।
आपराधिक पृष्ठभूमि और राजनीतिक सफर
1990 के दशक में सत्येंद्र साह ने रोहतास के कुख्यात अपराधी उमेश पासवान गिरोह के साथ अपराध की दुनिया में कदम रखा था। कुछ ही समय में वह उमेश पासवान का खास गुर्गा बन गया। गिरोह मुख्य रूप से बैंक डकैती और कैश वैन लूट जैसे मामलों में सक्रिय था। उमेश पासवान की हत्या के बाद सत्येंद्र साह ने गिरोह की कमान संभाल ली और गढ़वा समेत बिहार-झारखंड के कई जिलों में अपराध फैलाया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, सत्येंद्र साह के खिलाफ गढ़वा में दर्जनों मामले दर्ज हैं। उसकी दहशत इतनी थी कि प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से उसे एक बार सासाराम से मुजफ्फरपुर के खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में स्थानांतरित किया था।
एक मामले में जब पुलिस ने उसके खिलाफ एक युवक को गवाह बनाया, तो कुछ ही दिनों बाद उस युवक की हत्या कर दी गई — इस गवाह हत्या कांड में भी सत्येंद्र साह का नाम आया था।
बाद में सत्येंद्र साह ने अपराध की दुनिया से दूरी बनाकर राजनीति का रुख किया। उन्होंने 2010 में सासाराम विधानसभा से चुनाव लड़ा और बाद में अपनी पत्नी को भी मेयर चुनाव में प्रत्याशी बनाया।
गिरफ्तारी से मचा राजनीतिक हलचल
राजद प्रत्याशी की गिरफ्तारी से गढ़वा और सासाराम के राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इस घटना से चुनावी माहौल पर असर पड़ सकता है। सत्येंद्र साह को जमानत मिलने तक उनके प्रचार अभियान को झटका लग सकता है।
गढ़वा पुलिस अधीक्षक ने बताया कि सत्येंद्र साह की गिरफ्तारी लंबे समय से लंबित थी। पुलिस ने कई बार दबिश दी थी, लेकिन वह हर बार फरार हो जाते थे। अंततः सोमवार को करहगर पुलिस की मदद से उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
गढ़वा पुलिस ने सासाराम से राजद प्रत्याशी सत्येंद्र साह को भेजा जेल, बैंक डकैती समेत कई कांडों में है आरोपी














