झारखंड वार्ता
मध्यप्रदेश:- मुरैना में ऐसा मंदिर है जिसका निर्माण भूतों ने करवाया है। यह मंदिर जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर बना हुआ है, आज भी लोग इसका रहस्य जानने के लिए दूर-दूर से देखने आते हैं।
प्राकृतिक आपदाएं बेअसर
इस मंदिर को देखकर शायद आप भी चौंक जाएंगे, क्योंकि इस मंदिर का निर्माण ही ऐसा है जिसके कारण देखने में लगता है कि यह मंदिर अभी भरभरा कर गिर जाएगा। भगवान भोलेनाथ के इस मंदिर पर इतनी कृपा है कि पिछले एक हजार साल से यह गिरता नहीं है। इसे देखने से प्रतीत होता है कि इसका निर्माण अधूरा है, दूसरा कारण यह भी है कि एक के ऊपर एक पत्थर रखे हुए हैं वो भी बिना किसी चूना और सीमेंट के, कई आंधी, तूफान और भूकंप आए फिर भी यह मंदिर अपने स्थान पर खड़ा है।

भूतों का मंदिर
मुरैना के ककनमठ मंदिर को भूतों का मंदिर भी कहा जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर को भूतों ने बनवाया, जब भूत यह मंदिर बना रहे थे और मंदिर का निर्माण पूर्ण होने ही वाला था कि सुबह के समय गांव की किसी महिला ने हाथ से चलने वाली चक्की चला दी तो भूत इस मंदिर को अधूरा छोड़ कर भाग गए, इसी कारण इसे भूतों का मंदिर कहते हैं। इसे आप देखेंगे तो आपको अधूरा लगेगा, खैर इसमें कितनी सच्चाई है इससे जुड़े सटीक प्रमाण नहीं हैं।

भगवान शिव को समर्पित है मंदिर
यह 115 फीट ऊंचा मंदिर शिवालय है, यानि भगवान शिव का एक विशाल मंदिर है, मंदिर खंडहर की अवस्था में है, जैसे ही मंदिर में प्रवेश करेंगे तो आपको कुछ सीढ़िया चढ़नी होंगी। इसके बाद आप शिवलिंग के दर्शन कर पाएंगे। इतिहासकारों के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण कछवाहा वंश के राजा कीर्ति राज ने 11वीं शताब्दी में करवाया था, राजा की पत्नी रानी ककनावती शिव भक्त थीं, जिस वजह से इस मंदिर का नाम रानी के नाम पर ही ककनमठ रखा गया है। माना जाता है कि आंधी तूफान की वजह से आसपास के कई छोटे-मोटे मंदिर नष्ट हो चुके हैं। मंदिर के चारों ओर खेत हैं। इन खेतों में इस मंदिर के अवशेष पड़े हुए हैं। यहां खुदाई के दौरान भी कई अवशेष मिलते हैं।

खंडित अवस्था में कई मूर्तियां
हजार साल पुराने इस मंदिर में आपको हर तरफ हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां दिख जाएंगी, लेकिन कई मूर्तियां खंडित अवस्था में मौजूद हैं, ऐसा माना जाता है कि मूर्तियों को विदेशी शासकों ने तुड़वा दिया था। मंदिर के कई अवशेष ग्वालियर के एक म्यूजियम में रखे हुए हैं। बात मंदिर के खंडहर में बदलने की करें तो पुरातत्वविदों के अनुसार इस मंदिर पर मौसम की मार पड़ी है जिसके कारण यह इस अवस्था में है।
