रिम्स की बदहाल व्यवस्था पर हाईकोर्ट सख्त, स्वास्थ्य सचिव और निदेशक तलब

On: August 6, 2025 7:40 AM

---Advertisement---
झारखंड वार्ता
रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य के प्रमुख अस्पताल रिम्स (राजेन्द्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) में इलाज की बदहाल व्यवस्था और बुनियादी सुविधाओं की कमी को गंभीरता से लेते हुए सख्त रुख अपनाया है। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान लेकर दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य के स्वास्थ्य सचिव और रिम्स निदेशक को 6 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने उठाए गंभीर सवाल
सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि रिम्स जैसे संस्थान में उत्कृष्ट इलाज की व्यवस्था होनी चाहिए। यह झारखंड का प्रमुख चिकित्सा संस्थान है, लेकिन यहां इलाज की स्थिति दयनीय बनी हुई है। कोर्ट ने रिम्स प्रबंधन से यह भी पूछा कि राज्य सरकार से हर साल करोड़ों की राशि मिलने के बावजूद उसे खर्च क्यों नहीं किया जाता? और जरूरी मेडिकल उपकरण व सुविधाएं क्यों नहीं उपलब्ध कराई जातीं?
एनपीए लेकर भी प्राइवेट प्रैक्टिस
खंडपीठ ने रिम्स के उन चिकित्सकों पर भी सवाल उठाए जो नॉन प्रैक्टिस एलाउंस (NPA) लेने के बावजूद निजी प्रैक्टिस कर रहे हैं। कोर्ट ने रिम्स निदेशक को सभी चिकित्सकों की बायोमेट्रिक उपस्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
रिम्स में भारी संख्या में पद रिक्त
प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता दीपक कुमार दुबे ने कोर्ट को बताया कि रिम्स में चिकित्सक, प्रोफेसर, नर्स और पारा मेडिकल स्टाफ समेत सैकड़ों पद वर्षों से रिक्त हैं।
13 मार्च 2024 को 145 पदों के लिए विज्ञापन निकाला गया था, जिसमें प्रोफेसर (37), एडिशनल प्रोफेसर (9), एसोसिएट प्रोफेसर (56) और असिस्टेंट प्रोफेसर (43) पद शामिल थे, लेकिन प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हुई है।
डेंटल कॉलेज में तीन साल से प्रिंसिपल का पद खाली है।
नर्सिंग कॉलेज में भी प्रिंसिपल के पद के लिए विज्ञापन मार्च 2025 में जारी हुआ, लेकिन नियुक्ति नहीं हुई।
नर्सिंग स्टाफ के 144, पारा मेडिकल स्टाफ के 44 और ग्रुप-डी के 418 पद रिक्त हैं।
पिछली सुनवाई में दिए थे निर्देश
कोर्ट ने इससे पूर्व हुई सुनवाई में राज्य सरकार, रिम्स प्रबंधन और झारखंड बिल्डिंग कॉरपोरेशन को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। वहीं, अधिवक्ता दीपक दुबे ने बताया कि रिम्स की व्यवस्था में कोई ठोस सुधार नहीं हुआ है और मरीजों को लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि अब लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी।