मालेगांव ब्लास्ट केस में मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का मिला था आदेश… ATS के पूर्व इंस्पेक्टर का बड़ा खुलासा

On: August 1, 2025 3:20 PM

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नई दिल्ली: महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट केस में NIA की स्पेशल कोर्ट ने 31 जुलाई को सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया। मामले की जांच पहले महाराष्ट्र ATS ने की थी। अब ATS के पूर्व इंस्पेक्टर महबूब मुजावर ने दावा किया है कि उन्हें RSS प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया था, ताकि “भगवा आतंकवाद” की कहानी बनाई जा सके। उन्होंने कहा कि यह सब फर्जी था और उनके पास इसके दस्तावेजी सबूत हैं। मैं किसे के पीछे नहीं गया, क्योंकि मुझे वास्तविकता पता थी। मोहन भागवत जैसे व्यक्ति को पकड़ना मेरी क्षमता से बाहर था।
मुजावर ने आगे कहा- इस फैसले ने एक फर्जी अधिकारी की फर्जी जांच को उजागर कर दिया है। मैं यह नहीं कह सकता कि ATS ने तब क्या जांच की और क्यों, लेकिन मुझे राम कलसांगरा, संदीप डांगे, दिलीप पाटीदार और RSS प्रमुख मोहन भागवत जैसी हस्तियों के बारे में कुछ गोपनीय आदेश दिए गए थे। ये सभी आदेश ऐसे नहीं थे कि कोई उनका पालन कर सके।
मालेगांव ब्लास्ट केस
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम धमाके में 6 लोगों की मौत और लगभग 100 लोग घायल हुए थे। मामले की शुरुआती जांच महाराष्ट्र ATS ने की, लेकिन 2011 में केस NIA को सौंप दिया गया। NIA ने 2016 में चार्जशीट दाखिल की। केस के दौरान 3 जांच एजेंसियां और 4 जज बदले। NIA की स्पेशल कोर्ट में 8 मई 2025 को फैसला सुनाया जाना था, लेकिन इसे सुरक्षित रख लिया गया।
31 जुलाई 2025 को जज एके लाहोटी ने पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा समेत सभी 7 आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकर धर द्विवेदी को बरी किया। करीब 17 साल बाद आए फैसले में कोर्ट ने कहा- जांच एजेंसी आरोप साबित नहीं कर पाई है, ऐसे में आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए। धमाका हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं हुआ कि बम मोटरसाइकिल में रखा था। कोर्ट ने कहा कि यह भी साबित नहीं हुआ कि मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा के नाम थी। यह भी साबित नहीं हो सका कि लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित ने बम बनाया।