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जमशेदपुर: भालूबासा सेंटर में महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर जयालक्ष्मी नाट्य कला मंदिरम ने उन्हें नमन किया।
साथ ही मुंशी जी की जयंती पर टाटा स्टील फाउंडेशन के कुछ ट्रेनी बच्चों को “डेंगू मच्छर सावधान” लेखक निर्देशक ए बाबू राव ने अभ्यास कराया। फिर गुरुवार को बच्चों ने बस्ती बस्ती में घूम कर यह नुक्कड़ नाटक किया।

इस मौके पर जयालक्ष्मी नाट्य कला मंदिरम के ट्रस्टी और निदेशक ए बाबूराव ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 और मृत्यु 08 अक्टूबर 1936 को हुई।

बनारस के एक छोटे से गांव लमही में 31 जुलाई 1880 को मुंशी प्रेमचंद का जन्म एक सामान्य से परिवार में हुआ था।

मुंशी प्रेमचंद का विवाह पिता के दबाव के चलते 15 वर्ष की कम आयु में हो गया था।

इनके पिता अजायब राय की मृत्यु के पश्चात् परिवार की पूरी जिम्मेदारी मुंशी प्रेमचंद के ऊपर आ गई और इसी बीच इन्होंने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया ऐसा मानना है और कुछ दिनों के बाद इन्होंने अपनी पसंद से सन् 1906 में लगभग 25 वर्ष की उम्र में एक विधवा स्त्री शिवरानी देवी से विवाह किया एवं एक सुखी वैवाहिक जीवन की शुरुआत की।

उपन्यास लिखने से उनके उपन्यासों ने सामाजिक चेतना और जिम्मेदारी की भावना को जगाने का काम किया था। जीवन की वास्तविकताओं और समाज में हो रही बुराइयों को खत्म करने का संकल्प लिया ।

हिन्दी के ऐसे ही एक महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद जिन्होंने हिन्दी साहित्य में अपनी अमिट छाप छोड़ी। साथ ही उनके द्वारा लिखी गई कहानियां आज भी वर्तमान में विद्यमान है।

पता नहीं इन्हें अपने जीवन काल में वैसी सराहना और तवज्जो मिली या नहीं जिनके वे हकदार थे।

जीवन के अंत तक वे लिखते ही रहे। जब उनकी मृत्यु हुई तो वे वास्तव में मंगलसूत्र नामक उपन्यास अधूरा रह गया था जिसे बाद में उनके बेटे श्री पत राय ने पूरा किया।

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