खूंटी: जिले में पुलिस विभाग की प्रतिष्ठा पर सवाल खड़ा करने वाला मामला सामने आया है। करीब तीन दशक पुराने जमीन विवाद की दुश्मनी निकालने के लिए एक दरोगा ने निर्दोष व्यक्ति को अफीम की खेती के फर्जी आरोप में फंसा दिया। मामले के खुलासे के बाद खूंटी एसपी ने आरोपी दरोगा रामसुधीर सिंह को कर्तव्य में लापरवाही, पद का दुरुपयोग और पुलिस की छवि खराब करने के आरोप में तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। साथ ही आगे की विभागीय कार्रवाई के लिए रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय भेज दी गई है।
कैसे हुआ पर्दाफाश?
खूंटी के सायको थाना क्षेत्र में अफीम की खेती के केस संख्या 13/25 में दरोगा रामसुधीर सिंह अनुसंधान पदाधिकारी थे। केस में मुख्य आरोपी लाखा पाहन है। जांच के दौरान रामसुधीर सिंह ने केस डायरी में दर्ज किया कि लाखा की मुलाकात सितंबर 2024 में सायको बाजार में बेगूसराय निवासी अमरेंद्र कुमार से हुई। आरोप लगाया गया कि अमरेंद्र ने लाखा को 25 हजार रुपये देकर अफीम की खेती करने को कहा।
लेकिन जब अमरेंद्र के भाई मृत्युंजय कुमार ने इस मामले की शिकायत खूंटी एसपी से की, तो एसडीपीओ के नेतृत्व में जांच बैठाई गई। जांच में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि न तो अमरेंद्र कभी खूंटी या सायको आया था और न ही लाखा पाहन बेगूसराय गया था। दोनों एक-दूसरे को जानते भी नहीं थे। सीडीआर रिपोर्ट ने भी यह बात पुख्ता कर दी।
30 साल पुरानी दुश्मनी का बदला
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि दरोगा रामसुधीर सिंह और अमरेंद्र के परिवार के बीच 1996 से भूमि विवाद को लेकर रंजिश चली आ रही थी। उस समय अमरेंद्र के पिता ने बेगूसराय के बलिया थाना में रामसुधीर सिंह के परिवार पर केस दर्ज कराया था। इसी पुरानी दुश्मनी का बदला लेने के लिए दरोगा ने कानून की आड़ में अमरेंद्र को फर्जी केस में फंसाने की योजना बनाई।
दोष दूसरे पर मढ़ने की कोशिश
गिरफ्तारी की आंच अपने ऊपर आते देख दरोगा ने लाखा पाहन पर सारा दोष मढ़ने की कोशिश की और केस डायरी में लिखा कि लाखा ने पैसे के विवाद में अमरेंद्र का नाम ले लिया था। हालांकि एसडीपीओ ने जांच में साफ पाया कि लाखा कभी बिहार गया ही नहीं।
एसपी खूंटी ने मामले को गंभीर मानते हुए दरोगा रामसुधीर सिंह को तत्काल निलंबित कर दिया है। विभागीय जांच रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को भेजी जा चुकी है और आगे दोषसिद्धि होने पर कड़ी कार्रवाई की संभावना है।
इस सनसनीखेज खुलासे ने पुलिस विभाग में हड़कंप मचा दिया है और इस घटना ने झारखंड पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
झारखंड: जमीन विवाद की दुश्मनी में दरोगा ने निर्दोष को अफीम केस में फंसाया, निलंबित














