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Karwa Chauth 2025: करवा चौथ पर केवल 1 घंटा 14 मिनट का शुभ मुहूर्त, जानें पूजा विधि, मुहूर्त; चंद्रोदय का समय और व्रत कथा

On: October 10, 2025 11:27 AM
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Karwa Chauth 2025: सुहागन महिलाओं के लिए बेहद खास और श्रद्धा से भरा पर्व करवा चौथ इस वर्ष 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को मनाया जा रहा है। यह व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है, जिसमें महिलाएं दिन भर निर्जला उपवास रखती हैं और रात को चंद्रोदय के बाद ही व्रत खोलती हैं।

व्रत की शुरुआत और समापन

इस बार चतुर्थी तिथि की शुरुआत 9 अक्टूबर की रात को हो रही है और इसका समापन 10 अक्टूबर की शाम 7:38 बजे होगा। महिलाएं सूर्योदय से पहले सर्गी ग्रहण कर उपवास प्रारंभ करती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही जल ग्रहण करती हैं।

पूजन के शुभ योग और मुहूर्त

इस वर्ष करवा चौथ के दिन कई शुभ योगों का संयोग बन रहा है:

रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत: शाम 5:32 बजे

सिद्धि योग समाप्ति: शाम 5:41 बजे

करवा चौथ पूजन का शुभ मुहूर्त:
शाम 5:57 से 7:11 तक (कुल 1 घंटा 14 मिनट)


दिनभर के अन्य शुभ मुहूर्त:

मुहूर्त समय

ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:40 – 5:30
अमृत मुहूर्त दोपहर 3:22 – 4:48
विजय मुहूर्त दोपहर 2:04 – 2:51
अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:45 – 12:31
गोधूलि मुहूर्त शाम 5:57 – 6:22
निशिता मुहूर्त रात 11:46 – 12:33
चौघड़िया (लाभ/उन्नति) सुबह 7:46 – 9:13
चौघड़िया (चर मुहूर्त) शाम 4:30 – 4:57

चंद्रोदय का समय और चंद्र पूजन

करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस वर्ष चंद्रोदय का समय शाम 8:13 बजे निर्धारित किया गया है। ध्यान दें कि विभिन्न शहरों में चांद के निकलने का समय कुछ मिनटों का अंतर रख सकता है, इसलिए स्थानीय पंचांग भी जरूर देखें।

करवा चौथ पूजन विधि

1. सोलह श्रृंगार कर महिलाएं शाम के समय पूजा के लिए तैयार होती हैं।

2. करवा माता का चित्र दीवार पर बनाएं या बाजार से लाया चित्र लगाएं।

3. चावल के आटे में हल्दी मिलाकर भूमि पर पूजा का पवित्र चक्र बनाएं।

4. इस चक्र के ऊपर करवा रखें, उसमें खील, बताशे, साबुत अनाज या मिठाई डालें।

5. करवा में 11 या 21 सींकें लगाएं और उसके ऊपर घी का दीपक प्रज्वलित करें।

6. सुहाग सामग्री और सोलह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें।

7. एक लोटा जल पास रखें, जिससे चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाएगा।

8. व्रत कथा का श्रवण अवश्य करें, फिर छलनी से पति को देख चंद्रमा को अर्घ्य दें और व्रत संपन्न करें।

करवा चौथ की पौराणिक/व्रत कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक नारी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के किनारे रहती थी। एक दिन उसका पति स्नान करते समय मगरमच्छ की चपेट में आ गया। करवा ने अपने सतीत्व बल से एक कच्चे धागे से मगर को पेड़ से बांध दिया और यमराज से प्रार्थना की।

करवा की प्रार्थना पर यमराज ने मगरमच्छ को मृत्युदंड दिया और उसके पति को जीवनदान दे दिया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना से यह व्रत रखती हैं।

सावित्री-सत्यवान की कथा भी इसी भावना को दर्शाती है, जहां सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे बैठकर यमराज से अपने पति के प्राण वापस लिए थे।

करवा चौथ का महत्व

करवा चौथ केवल एक व्रत नहीं, बल्कि नारी शक्ति, आस्था और प्रेम की गहरी अभिव्यक्ति है। यह पर्व भारतीय संस्कृति में पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती और समर्पण का प्रतीक माना जाता है।

सभी व्रती महिलाओं को करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं!
आपके सुहाग की उम्र लंबी हो और आपके जीवन में हमेशा सुख-शांति बनी रहे।

नोट: पूजा विधि, मुहूर्त और चंद्रोदय का समय स्थानीय पंचांग के अनुसार थोड़ा बदल सकता है। कृपया अपने क्षेत्र के अनुसार समय की पुष्टि करें।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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