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रांची: रांची में युद्ध के समय किसी भी आपात स्थित से निपटने के लिए मॉक ड्रिल की गयी। बुधवार को उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री और पुलिस उपमहानिरीक्षक सह वरीय पुलिस अधीक्षक चन्दन कुमार सिन्हा के नेतृव में मॉक ड्रिल की गयी।

शाम के 4 बजते ही राजधानी रांची के डोरंडा इलाके के मेकॉन लिमिटेड के भवन में हमले की सूचना मिली। इस दौरान कई लोगों के हताहत होने की जानकारी सामने आयी। माहौल का जायजा लेते हुए अग्निशमन की गाड़ियां और एम्बुलेंस को मौके पर बुलाया गया। इस दौरान राहत और बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ की टीम भी पहुंची। इसके साथ ही राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। हताहत लोगों को एनसीसी और एनडीआरएफ के जवान निकालने में जुट गए। यह नजारा वास्तविक हमले के बाद का नहीं था। यह एक अभ्यास था। इस आयोजन का उद्देश्य था लोगों को इस बात की जानकारी देना कि अगर कभी परिस्थितियां विपरीत होती हैं तो उस दौरान खुद को कैसे बचाना है। वहीं यह भी देखना था कि प्रशासन और पुलिस किस स्तर तक विपरीत परिस्थिति से निपटने के लिए खुद को तैयार रखी हुई है।

मॉक ड्रिल की प्रक्रिया 4 बजे शुरू हुई। यह शाम 7 बजे तक चली। इस दौरान जहां बचाव और राहत कार्य के तरीके दिखाए गए वहीं ब्लैक आउट कर लोगों को अंधेरे में खुद को सुरक्षित बनाए रखने का अभ्यास कराया गया। मॉक ड्रिल के दौरान राहत और बचाव कार्य तेजी से किया जा सके, इसे लेकर ट्रैफिक पुलिस और अधिकारी सड़क खाली कराने में जुट गए। वहीं एम्बुलेंस में घायलों को लेकर तेजी से पास ही के अस्पताल ले कर गए। मॉक ड्रिल में रांची पुलिस के विभिन्न विंग, कई थानों के थानेदार, पीसीआर के साथ-साथ 200 से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने भाग लिया।

मॉक ड्रील को सफल बनाने के लिए हकीकत में नो ट्रैफिक जोन बनाया गया। इस दौरान राजेन्द्र चौक से लेकर एजी कॉलोनी तक के इलाके को नो ट्रैफिक जोन में तब्दील कर दिया गया। इस दौरान दुश्मन देश के संभावित हमले को लेकर ब्लैक आउट भी रहा।