रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि अदालत के आदेश के बावजूद अब तक नगर निकाय चुनाव नहीं कराए गए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि सरकार ने आदेश की अवहेलना की है, इसलिए अब मुख्य सचिव अलका तिवारी सहित कई शीर्ष अफसरों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू होगी।
अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी। इस दौरान मुख्य सचिव के साथ नगर विकास विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव विनय चौबे, आईएएस अधिकारी वंदना डाडेल, अपर सचिव ज्ञानेश कुमार और अन्य संबंधित अफसरों को कोर्ट में सशरीर उपस्थित होना होगा। कोर्ट ने साफ कहा कि इन सभी के खिलाफ चार्ज फ्रेम कर मुकदमा चलाया जाएगा।
सरकार की दलील खारिज
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए “ट्रिपल टेस्ट” प्रक्रिया चल रही है। उसी के बाद चुनाव कराए जाएंगे। लेकिन अदालत ने इस तर्क को नकारते हुए कहा कि सरकार न सिर्फ अदालत के आदेश की अनदेखी कर रही है, बल्कि कानून से भी खिलवाड़ कर रही है।
आदेश का पालन नहीं, अदालत नाराज़
दरअसल, 4 जनवरी 2024 को जस्टिस आनंदा सेन की बेंच ने रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया था कि तीन सप्ताह के भीतर राज्य के सभी नगर निकाय चुनाव कराए जाएं। लेकिन अब तक इस आदेश का पालन नहीं हुआ।
प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने कोर्ट से सख्त कार्रवाई की मांग की।
कार्यकाल खत्म, प्रशासकों के हाथ में बागडोर
झारखंड के सभी नगर निकायों का कार्यकाल अप्रैल 2023 में ही समाप्त हो गया था। नियमानुसार 27 अप्रैल 2023 तक नए चुनाव हो जाने चाहिए थे। लेकिन राज्य सरकार ने चुनाव से पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया और इसके लिए ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया शुरू की। लगभग डेढ़ साल गुजर जाने के बाद भी यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई।
परिणामस्वरूप, अप्रैल 2023 के बाद से सभी नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद और नगर पंचायतों का संचालन निर्वाचित प्रतिनिधियों के बजाय सरकारी प्रशासकों के हाथों में है। यानी पिछले सवा दो वर्षों से इन निकायों में लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व पूरी तरह समाप्त हो गया है।
नगर निकाय चुनाव में देरी पर झारखंड हाईकोर्ट सख्त, मुख्य सचिव समेत कई अफसरों पर अवमानना की तलवार









