रांची: राजधानी रांची के दूसरे सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सदर अस्पताल में मरीजों को फंगस लगी हुई दवा दिए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यह चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ जब एक मरीज के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से लिखित शिकायत की कि उन्हें दी गई टैबलेट में फंगस जैसी काली परत दिखाई दी है।
शिकायत मिलने के बाद अस्पताल प्रशासन हरकत में आया। सदर अस्पताल के डिप्टी सुपरिटेंडेंट डॉ. बिमलेश सिंह ने तत्काल स्टोर से संबंधित दवा मंगाकर जांच शुरू कराई। प्रारंभिक रैंडम जांच में भी स्थिति गंभीर पाई गई। जांच के दौरान पैरासिटामोल की दो स्ट्रिप्स में टैबलेट पर काले धब्बे स्पष्ट रूप से नजर आए, जो दवा में फंगल संक्रमण का संकेत देते हैं।
डॉ. सिंह ने पुष्टि करते हुए बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए उस दवा के वितरण और उपयोग पर तत्काल रोक लगा दी गई है। साथ ही, इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग को भी सूचना भेज दी गई है ताकि दवा की सप्लाई चैन और क्वालिटी कंट्रोल की जांच की जा सके।
मरीजों की जान से खिलवाड़?
सरकारी अस्पतालों में मरीजों को निशुल्क दवाएं मुहैया कराई जाती हैं, लेकिन यदि इनमें गुणवत्ता की कमी हो तो यह सीधे तौर पर मरीजों की जान जोखिम में डालने जैसा है। दवा में फंगस होना गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकता है, खासकर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले मरीजों के लिए।
अब क्या कदम उठाए जाएंगे?
अस्पताल प्रशासन ने संबंधित बैच की सभी टैबलेट्स को हटाकर उन्हें क्वारंटीन कर दिया है और पूरे स्टॉक की गहन जांच की जा रही है। इसके साथ ही, यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि यह गड़बड़ी सप्लायर की ओर से हुई है या स्टोरेज प्रक्रिया में लापरवाही के कारण।
स्वास्थ्य विभाग की भूमिका पर सवाल
इस मामले के उजागर होने के बाद स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं। सरकारी दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नियमित निरीक्षण और सैंपलिंग की प्रक्रिया अनिवार्य है, लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस मामले में मॉनिटरिंग तंत्र पूरी तरह विफल रहा।
फिलहाल अस्पताल प्रशासन ने मरीजों से अपील की है कि वे अपने पास मौजूद दवाओं की जांच कर लें और किसी भी संदिग्ध दवा को अस्पताल में रिपोर्ट करें।













