तियानजिन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग परिषद (एससीओ) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने सदस्य देशों के सत्र को संबोधित करते हुए भारत का दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से सामने रखा और आतंकवाद को दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती बताया।
आतंकवाद पर सख्त रुख
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले का विशेष रूप से जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह हमला न केवल भारत पर बल्कि पूरी मानवता पर सीधा हमला था। पीएम मोदी ने कहा – “भारत या कोई भी देश उग्रवाद, अलगाववाद और आतंकवाद बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा। हमें स्पष्ट और सर्वसम्मति से कहना होगा कि आतंकवाद पर कोई भी दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत पिछले चार दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है और यह चुनौती किसी एक देश की सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरी मानवता के लिए खतरा है।
एससीओ के लिए भारत का दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री मोदी ने एससीओ मंच पर भारत की नीति और दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने कहा कि भारत का एससीओ के प्रति दृष्टिकोण तीन प्रमुख स्तंभों पर आधारित है – सुरक्षा, कनेक्टिविटी और अवसर।
मोदी ने कहा कि सुरक्षा, शांति और स्थिरता किसी भी देश के विकास की नींव हैं, लेकिन आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद इस राह में बड़ी चुनौतियां पेश करते हैं।
आतंक के खिलाफ वैश्विक एकजुटता का आह्वान
पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत ने हमेशा एकता पर जोर दिया है। उन्होंने बताया कि भारत ने संयुक्त सूचना अभियान का नेतृत्व करके अल-कायदा और उससे जुड़े संगठनों से लड़ाई लड़ी और आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ ठोस कदम उठाए।
“हमें हर रूप और रंग के आतंकवाद का सर्वसम्मति से विरोध करना होगा। यह मानवता के प्रति हमारा कर्तव्य है।” – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
भारत की भूमिका की सराहना
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में उन मित्र देशों का आभार भी व्यक्त किया जो पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के साथ खड़े रहे। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों के खिलाफ सख्त रुख अपनाना अब समय की जरूरत है।
एससीओ समिट में पीएम मोदी का आतंकवाद पर कड़ा संदेश, पहलगाम हमले का किया जिक्र












