रांची: तुपुदाना, रांची की 31 वर्षीय दो बच्चों की मां, जो बेहद गंभीर हालत में भगवान महावीर मणिपाल हॉस्पिटल्स, रांची लाई गई थीं, अब जटिल हृदय शल्य चिकित्सा के बाद पूरी तरह स्वस्थ हो रही हैं। माइट्रल हार्ट वॉल्व लीकेज से पीड़ित बबीता कुमारी (नाम परिवर्तित) चलने-फिरने में असमर्थ थीं और दैनिक कार्य भी नहीं कर पा रही थीं। अस्पताल में उनका सफलतापूर्वक माइट्रल वॉल्व रिप्लेसमेंट किया गया, जिसे अस्पताल के कंसल्टेंट कार्डियोथोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जरी डॉ. अरुमित पलित ने अंजाम दिया।
डॉक्टरों के अनुसार, बबीता में माइट्रल वॉल्व लीकेज की समस्या जुड़वा बच्चों के जन्म के बाद शुरू हुई थी। आर्थिक और पारिवारिक परिस्थितियों के कारण वह पिछले 12 वर्षों से उचित इलाज नहीं करा पाई थीं। अस्पताल पहुंचने तक उनके हृदय पर लगातार दबाव पड़ता रहा, जिससे वह काफी बढ़ चुका था और उनकी स्थिति अत्यंत गंभीर हो गई थी।
डॉ. अरुमित पलित ने बताया, “माइट्रल वॉल्व प्रोलैप्स (MVP) प्रजनन आयु की महिलाओं में सबसे आम वॉल्व विकार है और यह लगभग 12–17% गर्भवती महिलाओं में पाया जाता है। ऐसे में प्रसव के बाद कार्डियक जांच बेहद जरूरी होती है। जब मरीज हमारे पास आईं, तब उनका हृदय काफी बड़ा हो चुका था। जोखिम के बावजूद हमने जटिल माइट्रल वॉल्व रिप्लेसमेंट किया और उनकी शारीरिक संरचना के अनुसार बड़ा कृत्रिम वॉल्व प्रत्यारोपित किया। सर्जरी सफल रही और उन्होंने सकारात्मक सुधार दिखाया।”
उन्होंने आगे बताया कि जुड़वा गर्भावस्था में रक्त की मात्रा और हृदय पर भार अधिक होने के कारण किसी-किसी महिला में वॉल्व लीकेज या प्रोलैप्स विकसित हो जाता है। प्रसव के बाद यदि सांस फूलना, थकान या कमजोरी बनी रहे, तो इसे कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
सर्जरी के बाद बबीता की रिकवरी लगातार बेहतर होती गई। केवल आठ दिनों में उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया, और वह अपने पैरों पर चलकर अस्पताल से बाहर निकलीं, जबकि उन्हें व्हीलचेयर पर भर्ती कराया गया था। उनका हृदय अभी भी बड़ा है, लेकिन नया वॉल्व रक्त प्रवाह को सामान्य कर चुका है। आने वाले महीनों में ‘कार्डियक रीमॉडेलिंग’ की प्रक्रिया से हृदय स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है।
अपनी भावनाएं साझा करते हुए बबीता ने कहा, “अस्पताल आने से पहले मैंने लगभग उम्मीद छोड़ दी थी। चलना भी मुश्किल हो गया था। मेरे पति और बहनों ने हर समय मेरा साथ दिया। आज मैं अपने पैरों पर खड़ी होकर घर लौट रही हूँ। डॉ. अरुमित पलित और मणिपाल हॉस्पिटल रांची की टीम ने मुझे नई जिंदगी दी है। मैं हमेशा आभारी रहूँगी।”
भारत में वॉल्व संबंधी हृदय रोग अब भी एक गंभीर चुनौती बने हुए हैं। कई मामलों में रूमेटिक फीवर या बैक्टीरियल संक्रमण का समय पर उपचार न होने से हृदय के वॉल्व क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। माइट्रल वॉल्व प्रोलैप्स (MVP) लगभग 39.2% मामलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। देश के कई हिस्सों में गले में खराश और बुखार जो अक्सर स्ट्रेप्टोकोकल संक्रमण के लक्षण होते हैं को गंभीरता से नहीं लिया जाता, जिससे आगे चलकर गंभीर हृदय जटिलताएँ पैदा हो जाती हैं। समय पर जांच ही बचाव का सबसे बड़ा उपाय है।
रांची: मणिपाल हॉस्पिटल ने महिला को दिया जीवनदान, सर्जरी से किया हार्ट वाल्व को रिप्लेस












