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गढ़वा: देश आजादी के बाद अंग्रेज चले गए थे, किंतु कई दिन नहीं, बरसों तक उनके द्वारा पदस्थापित कई भ्रष्ट पदाधिकारी या राजा और महाराजा का दंस गढ़वा रंका विधानसभा ही नहीं, पूरा देश भुगतता रहा था। आज उसी तर्ज पर पूर्व मंत्री मिथिलेश ठाकुर जिन्होंने 5 वर्षों में गढ़वा रंका विधान विधानसभा में ऐसा जहर घोला है कि आम गरीब गुर्वा चाहे व्यवसायी हों, किसान हों, एससी-एसटी-ओबीसी, यहां तक जिनके भोट (अल्पसंख्यक) से 2019 में वे चुनाव भी जीते थे, उनको भी उन्होंने बकसने का काम नहीं किया। चंद राजा-महाराजा के रिश्तेदार या सामंती प्रवृत्ति के लोग ही उनसे कुछ लाभ ले सके। पूर्व मंत्री के द्वारा किए गए कुकृत बहुत दिनों तक गढ़वा रंका विधानसभा के लोगों को याद रहेगा यथा
1) बालू की कालाबाजारी कर 6000 रुपए ट्रैक्टर बिकवाना और एवज में ₹2700 पर ट्रैक्टर थाना में जमा करवाना।
2) ब्लॉक में मनरेगा हो या कोई अन्य योजना जिसमें वेंडर के माध्यम से बेनेफिशरी को 40% और 60% वेंडर द्वारा कमीशन काटकर पदाधिकारी और मंत्री जी के भाई तक पहुंचाना।
3) अंचल में एलपीसी बनाने के नाम पर मोटा पैसा वसूली करना और मंत्री के भाई को समय-समय पर पहुंचाना।
4) भू माफिया द्वारा किसी के जमीन का जालि कागजात तैयार कर उससे मोटा रकम मूल जमीन के मालिक से और वसूली करना या उस जमीन को अपने ही नाम पर मंत्री जी के भाई और सीओ के सहयोग से कराकर मोटी रकम पर बेच मंत्री के भाई और सीओ तक पहुंचाना।
5) क्रिमिनल, अपराधी का मन बढ़ाना और शरीफ लोगों के बीच भय व्याप्त होना।
6) कई शरीफ घर की इज्जतदार महिलाओं को अदमियाईन बनने के लिए प्रेरित या बाध्य करना, अपराधी द्वारा शरीफ लोगों को पीटे जाने पर थाना में एफआईआर नहीं होने देना, काउंटर केस करा करके कंप्रोमाइज के लिए बाध्य किया जाना।
7) पीएचडी विभाग सहित सभी विभागों में 99% फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र पर काम दिलाना, जिससे जेनुइन और अनुभवी संवेदक टुकुर-टुकुर देखते रह गए और भैया जी का 10 पर्सेंट कमीशन से जेब गर्म होते रहा।
8) रंका मोड पर अपने पिताजी को स्वतंत्रता सेनानी के रूप में स्थापित करने का असफल प्रयास करना।
9) गढदेबी मंदिर के तोरण द्वार पर गढदेबी मैया से भी ज्यादा अपने माता-पिता के नाम को हाईलाइट करने का दुस्साहस करना।
10) जल जीवन मिशन में 5000 करोड रुपए के घोटाले का आरोप लगना।
वैसे भैया जी का आपराधिक पृष्ठभूमि इतना लंबा चौड़ा है कि उसे कागज के चंद टुकड़ों पर नहीं समेटा जा सकता है। अब देखिए, अवैध तरीके से अर्जित अरबो रुपए चुनाव में खर्च करने के बाद भी जनता ने उन्हें नकार दिया।

आजकल सूचना विभाग के पदाधिकारी बने हुए हैं पूर्व मंत्री

गढ़वा में जो भी योजना स्वीकृत हो रहा है या होगा, उसकी सूचना फेसबुक पर डालकर गढ़वा के लोगों को भ्रमित करने का गलत प्रयास मिथिलेश ठाकुर कर रहे हैं और उनके चमचे बेलचे जो उनके चंद पैसे और टुकड़े पर पलते हैं, वे कहते हैं वाह-वाह-वाह-वाह।
सबको पता है कि श्री सत्येंद्र नाथ तिवारी जी एक ईमानदार, कर्मठ और गरीब गुरुवा की चिंता करने वाले नेता हैं। किसी के कृपा या अवैध तरीके से धन अर्जन कर वोटर के बीच पैसा बाटकर चुनाव जीतने वाले नेता में से नहीं है। उनकी लोकप्रियता इनको विधायक बनाती है। विधायक जी कहते हैं कि भैया जी के चमचे को कह दो कि वह गढवा का विकास अगर रोक कर दिखा देंगे तो भी मैं उन्हें माई का लाल मानूंगा। चुनाव पूर्व विभिन्न अवसर पर विधायक श्री सत्येंद्र नाथ तिवारी जी ने कहा कि मंत्री जी इसे चाईबासा समझने की भूल न करें, यह गढ़वा है। यहां सबको पता है कि मरल घोड़ा घास नहीं खाता है। झूठा वाहवाही लेना बंद करें।

साथ ही साथ वर्तमान विधायक श्री सत्येंद्र नाथ तिवारी जी गढ़वा में सुचिता के अलावे विकास की लंबी लकीर जो पूर्व के 10 साल में खींचने का काम किए थे, इस 5 साल में भी करेंगे। मंत्री जी के पाप की दुनिया उन्ही को मुबारक हो।