---Advertisement---

दूसरी कक्षा की छात्रा को शिक्षिका ने 100 बार कराई उठक-बैठक, पैरों के मसल्स क्रैक; इलाज जारी

On: September 7, 2025 8:39 AM
---Advertisement---

सरगुजा: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के प्रतापगढ़ स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल से शिक्षिका की अमानवीय सजा का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। दूसरी कक्षा की छात्रा समृद्धि गुप्ता (08 वर्ष) को महिला टीचर ने 100 बार उठक-बैठक कराने और डंडे मारने की सजा दी। सजा इतनी कठोर थी कि बच्ची अब पैरों पर खड़ी होने और चलने की हालत में नहीं है। चिकित्सकों ने जांच में पाया है कि छात्रा के पैरों के मसल्स क्रैक हो गए हैं।

घटना कैसे हुई

पीड़ित छात्रा समृद्धि गुप्ता ने बताया कि वह टॉयलेट जा रही थी। रास्ते में शिक्षिका नम्रता गुप्ता मोबाइल फोन पर व्यस्त खड़ी थीं। उन्होंने छात्रा से घूमने का कारण पूछा। जब समृद्धि ने बताया कि वह टॉयलेट जा रही है, तो शिक्षिका ने पहले दो डंडे मारे और फिर क्लास में ले जाकर 100 बार उठक-बैठक कराई।

कुछ ही देर में छात्रा के पैरों और घुटनों में तेज दर्द शुरू हो गया। हालत बिगड़ने पर परिजन उसे निजी अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने मसल्स क्रैक होने की पुष्टि की। फिलहाल छात्रा का इलाज जारी है।

कार्रवाई

डीएवी स्कूल प्रबंधन ने शिक्षिका नम्रता गुप्ता को तत्काल प्रभाव से टर्मिनेट कर दिया।

स्कूल के प्रिंसिपल राजीव सिंह को घटना की सूचना उच्चाधिकारियों तक न पहुंचाने और समय पर कार्रवाई न करने के कारण फोर्स लीव पर भेज दिया गया।

डीएवी छत्तीसगढ़ के रीजनल ऑफिसर ने बताया कि कार्रवाई छात्रा के बयान के आधार पर की गई है और प्रतापगढ़ के मैनेजर को 10 दिनों में जांच रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं।

प्रिंसिपल का बयान

स्कूल प्रिंसिपल राजीव सिंह का कहना है कि घटना की पुष्टि नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि “स्कूल में हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। फुटेज देखकर सच्चाई सामने आ जाएगी। साथ ही, नम्रता गुप्ता मिडिल सेक्शन की शिक्षिका हैं जबकि छात्रा प्राइमरी सेक्शन की है।”

छात्रा का पारिवारिक पक्ष

समृद्धि गुप्ता अपने बड़े पिता अनुराग गुप्ता के घर गुतुरमा में रहकर पढ़ाई करती है। उसके पिता मनोज गुप्ता अंबिकापुर में नौकरी करते हैं। परिजनों ने शिक्षिका की कार्रवाई को अमानवीय बताते हुए कड़ी सजा की मांग की है।

बड़ा सवाल

इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़ा किया है कि स्कूलों में बच्चों को शारीरिक दंड देने की घटनाएं आखिर कब बंद होंगी? शिक्षा के मंदिर माने जाने वाले स्कूलों में ऐसी घटनाएं न केवल बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती हैं, बल्कि उनके मानसिक विकास पर भी गहरा घाव छोड़ जाती हैं।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

Join WhatsApp

Join Now