जशपुर: छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यह मामला न सिर्फ चौंकाने वाला है, बल्कि पुलिस की कार्यप्रणाली और जांच प्रक्रिया पर भी बड़े सवाल खड़े करता है। जिस युवक की हत्या का दावा कर पुलिस ने केस सुलझाने की बात कही थी और पांच लोगों को जेल भेज दिया था, वही युवक 61 दिन बाद खुद थाने पहुंच गया और बोला, साहब, मैं जिंदा हूं, मेरा मर्डर नहीं हुआ है।
जंगल से मिली अधजली लाश, हत्या का दर्ज हुआ था केस
मामले की शुरुआत 22 अक्टूबर को हुई थी, जब सिटी कोतवाली क्षेत्र के तुरीटोंगरी जंगल में एक युवक की अधजली लाश बरामद की गई। शिनाख्त के दौरान ग्राम सिटोंगा निवासी सीमित खाखा (30) के परिजनों ने मजिस्ट्रेट के सामने शव को अपने बेटे का बताते हुए पहचान की। इसके बाद पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू की। जांच के दौरान पुलिस ने दावा किया कि पैसों के विवाद में सीमित के दोस्तों ने ही उसकी हत्या की है। इसी आधार पर पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। पुलिस ने मामले को सुलझा हुआ बताते हुए अपनी पीठ भी थपथपाई।
शनिवार रात अचानक पलट गया पूरा मामला
शनिवार रात यह पूरा केस उस वक्त पलट गया, जब मृतक घोषित सीमित खाखा खुद ग्राम पंचायत सिटोंगा की सरपंच के साथ थाने पहुंच गया। दरअसल, सीमित झारखंड से बस के जरिए वापस लौटा था। उसे देखकर एक ऑटो चालक ने पहचान लिया और इसकी सूचना सरपंच को दी, जिसके बाद सीमित को सीधे थाने ले जाया गया।
थाने में सीमित ने पुलिस को बताया कि वह रोजगार की तलाश में झारखंड के गिरिडीह चला गया था। वहां उसके पास मोबाइल नहीं था, इसलिए परिजनों से संपर्क नहीं हो सका।
सीमित के बताया, मैं क्रिसमस मनाने घर लौटा हूं। मुझे नहीं पता था कि मुझे मरा हुआ घोषित कर दिया गया है और मेरे नाम पर मर्डर का केस चल रहा है।
पुलिस की जांच पर उठे सवाल
इस सनसनीखेज खुलासे के बाद जशपुर पुलिस कटघरे में आ गई है। अब सबसे बड़े सवाल ये हैं, अगर सीमित जिंदा है, तो जिन दोस्तों ने हत्या कबूली, उन्होंने ऐसा क्यों किया? क्या उनसे जबरन या दबाव में बयान दिलवाए गए? तुरीटोंगरी जंगल में मिली अधजली लाश आखिर किसकी थी? जिसे सीमित समझकर अंतिम संस्कार तक कर दिया गया। मजिस्ट्रेट के सामने परिजनों ने गलत शव की पहचान कैसे कर ली? क्या पहचान की प्रक्रिया में गंभीर लापरवाही हुई?
एसएसपी का बयान, SIT गठित
मामले की गंभीरता को देखते हुए जशपुर एसएसपी शशि मोहन सिंह ने कहा कि उस समय परिस्थितिजन्य साक्ष्यों और परिजनों की पहचान के आधार पर कार्रवाई की गई थी। अब वास्तविक मृतक की पहचान के लिए विशेष जांच टीम (SIT) गठित की गई है।
एसएसपी ने यह भी बताया कि जेल में बंद आरोपियों की रिहाई के लिए कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। साथ ही पूरे मामले की दोबारा गहन जांच की जाएगी, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि जांच में कहां और कैसे इतनी बड़ी चूक हुई।













