Wednesday, June 18, 2025

ओखरगाड़ा को प्रखंड बनाए जाने की मांग हुई तेज, संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री को भेजा मांग पत्र

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गढ़वा: मेराल प्रखण्ड से अलग कर ओखरगाड़ा को नया प्रखण्ड बनाए जाने की मांग एक बार फिर तेज हो गई है। जिसे लेकर बुधवार को गढ़वा समाहरणालय के पास एक दिवसीय धरणा प्रदर्शन किया गया। साथ ही उपायुक्त को मांग पत्र सौंपा गया। इस बार ओखरगाड़ा प्रखण्ड नव निर्माण संघर्ष समिति ने मुखर आवाज उठाते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री को एक विस्तृत मांग पत्र भेजा है। यह पत्र उपायुक्त, गढ़वा के माध्यम से भेजा गया है जिसमें क्षेत्र की जनता की कठिनाइयों और विकास से वंचित स्थिति को स्पष्ट रूप से रखा गया है।

संघर्ष समिति ने पत्र में बताया है कि मेराल प्रखण्ड के जिन छह पंचायतों खोरीडीह, चेचरिया, ओखरगाड़ा पूर्वी, ओखरगाड़ा पश्चिमी, विकताम और अरंगी  को मिलाकर नया प्रखण्ड बनाने की मांग की जा रही है, वे सभी मेराल मुख्यालय से 20 से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। इस कारण वहां के ग्रामीणों को प्रखण्ड मुख्यालय तक पहुँचने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

ग्रामीणों का कहना है कि अधिक दूरी, खराब सड़कें और सीमित परिवहन सुविधा के कारण आम लोग, खासकर गरीब और असहाय वर्ग, प्रखण्ड कार्यालय तक पहुँच ही नहीं पाते। नतीजतन, उन्हें योजनाओं का लाभ लेने में भारी परेशानी होती है। कई बार जरूरी कागजात या प्रमाण पत्र बनवाने या सरकारी योजनाओं में नाम जुड़वाने के लिए भी लोगों को 2-3 दिन तक भटकना पड़ता है, जिससे उनका समय, पैसा और मेहनत तीनों ही बर्बाद होते हैं।

संघर्ष समिति ने यह भी बताया कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार उक्त छह पंचायतों की जनसंख्या करीब 35,000 थी जो अब बढ़कर लगभग 50,000 हो गई है। इतनी बड़ी आबादी के लिए अलग प्रशासनिक व्यवस्था होना न केवल न्यायसंगत है बल्कि यह प्रशासनिक दक्षता और सुशासन की दृष्टि से भी आवश्यक हो गया है।

इस क्षेत्र में प्रखण्ड कार्यालय की स्थापना के लिए उपयुक्त भूमि भी उपलब्ध है, जिससे सरकार को किसी प्रकार की जमीन अधिग्रहण की आवश्यकता नहीं होगी। इससे प्रखण्ड भवन, अंचल कार्यालय, थाना, स्वास्थ्य केन्द्र, विद्यालय, बैंक, डाकघर जैसे जरूरी संस्थानों की स्थापना में भी आसानी होगी।

संघर्ष समिति के अनुसार, यह मांग कई वर्षों से की जा रही है, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इससे लोगों में निराशा फैल रही है। समिति का कहना है कि यदि राज्य सरकार वास्तव में ग्रामीण विकास और विकेन्द्रीकृत प्रशासन की पक्षधर है, तो इस मांग को शीघ्र पूरा किया जाना चाहिए।

एक अलग पत्र के माध्यम झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी इस मांग को समर्थन दिया है। और कहा है कि यदि सरकार ओखरगाड़ा को नया प्रखण्ड बनाती है, तो वे इसके लिए सदैव आभारी रहेंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि जनता की भावनाओं और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इस निर्णय को जल्द से जल्द लिया जाए।

जनहित में जरूरी है ओखरगाड़ा प्रखण्ड निर्माण

क्षेत्रीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि ओखरगाड़ा को प्रखण्ड बनाने से क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं में तेजी से सुधार होगा। स्थानीय प्रशासनिक तंत्र सशक्त होगा और लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ सुलभ रूप से मिल सकेगा।

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