सिमडेगा : जिले के बानो इलाके में सांप के काट लेने के बाद परिजन जब अस्पताल पहुंचे तो दरवाजा बंद था। अस्पताल के बाहर खड़े होकर चिखते चिल्लाते रहे, दरवाजे पीटते रहे लेकिन अस्पताल का दरवाजा नहीं खुला। जब तक दूसरे अस्पताल का रुख किया तब तक मरीज की मौत हो गयी।
अस्पताल का दरवाजा बंद, मरीज की चली गयी जान
मामला सिमडेगा जिले के बानो इलाके का है।बादलूम गांव में सुमित्रा देवी को जहरीले सांप ने काट लिया। परिजन भागे- भागे उसे बानो अस्पताल ले गये लेकिन लेकिन अस्पताल का गेट बंद था। परिजन आवाज देते रहे लेकिन अस्पताल का दरवाजा नहीं खुला। रात लगभग 3 बजे की यह घटना है। डॉक्टर को काफी बुलाया लेकिन कोई नही आया। परिजनों का कहना है कि वह उस समय तक होश में थी। परिजन उसे लेकर कोलेबिरा अस्पताल के लिए निकले सुमित्रा बेहोश हो गयी। कोलेबिरा में उपचार के बाद उसे सदर अस्पताल, सिमडेगा रेफर कर दिया गया। सदर अस्पताल में सुमित्रा को मृत घोषित कर दिया गया। सुनीता देवी को बानो में इलाज मिल जाता तो उसकी जान बच सकती थी।
गार्ड को ठहरा रहे जिम्मेदार
सुमित्रा के निधन ने चिकित्सा सुविधा की पोल खोल दी है। राज्य में जहरीले सांप के काटने से मरने वालों का आंकड़ा कम नहीं है। समय रहते अगर उसका इलाज हो जाता तो उसकी जान बच सकती थी। बानो सीएचसी प्रभारी डॉ. एसके रवि इस पूरे मामले के लिए गार्ड को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। जांच के बाद गार्ड के खिलाफ कार्रवाई की बात कही जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अस्पताल में 27 पीस एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन उपलब्ध है।
परिजन और ग्रामीणों में आक्रोश
दूसरी तरफ ग्रामीण और परिजन आक्रोश में हैं। सरकार कहती है कि सर्पदंश की घटनाओं में झाड़-फूंक से बचें और मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाएं। जब अस्पताल का दरवाजा ही बंद हो और मौत इंतजार कर रही हो तो गांव का कोई व्यक्ति कैसे अस्पताल जायेगा।
क्यों बंद था अस्पताल का मुख्य द्वार
अस्पताल का गेट बंद होना एक गंभीर मामला है। सीएस डॉ नवल कुमार ने भी इस पर चिंता जाहिर करते हुए जांच की बात कही है। सीएस ने जिले के सभी सीएससी, पीएससी व अस्पताल प्रबंधन से 24 घंटे अस्पताल का गेट खुला रखने और एंटी स्नेक वेनम रखने का निर्देश दिया है। तेज गर्मी के मौसम में इन दिनों यदा-कदा बारिश भी हो रही है। ऐसे ऐसे समय में सांपों और जहरीले जीव- जंतु के बिलों से बाहर आ जाने से सर्पदंश की घटनाएं बढ़ गई हैं। पिछले एक सप्ताह में जिले में ऐसे चार- पांच मामले सामने आ चुके हैं।