जो हमें अच्छी बात सिखाये वो सनातन धर्म है : जीयर स्वामी, अंतरराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन में संतों ने खुल कर रखी अपनी बात

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झारखंड वार्ता

श्री बंशीधर नगर (गढ़वा) :– श्री श्री 1008 श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि श्रीरामानुजार्य स्वामी जी की सहस्राब्दी स्मृति महोत्सव के उपलक्ष्य में यह धर्म सम्मेलन आयोजित है। उन्होंने कहा कि जो हमें अच्छी बात सिखाये वो सनातन धर्म है। सनातन धर्म हमें जीवन को उदात्त बनाने की हर बात सिखाता है। जीयर स्वामी जी ने कहा कि हम श्रेष्ठ मनुष्य बन कर आत्म कल्याण व समाज का कल्याण कर सके उसी के लिये ये धर्मायोजन है। उन्होंने कहा कि धर्म वही है जो धारण करे। इसके पूर्व श्रीरामानुजार्य स्वामी जी की सहस्राब्दी स्मृति महोत्सव एवं श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ के मौके पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन का शुभारंभ तमिलनाडु कांची से पधारे स्वामी श्री श्री निवासाचार्य श्रीगादी स्वामी जी महाराज ने दीप प्रज्वलन कर किया।

मानव-मानव में कोई भेद नहीं है सब ईश्वर की संतान : गादी स्वामी जी

स्वामी श्री श्री निवासाचार्य श्रीगादी स्वामी जी महाराज ने कहा कि श्रीरामानुजाचार्य स्वामी जी भक्ति आंदोलन के श्रेष्ठ आचार्य हुये जिन्होंने विशिष्टाद्वैत जैसा सिद्धांत मानव मात्र के कल्याण के लिये बतलाया। मानव मात्र ईश्वर को प्राप्त करने का अधिकारी है। उन्होंने कहा कि मानव-मानव में कोई भेद नहीं है सब ईश्वर की संतान हैं और हर कोई ईश्वर को पाने का अधिकारी है। ईश्वर को पाने का सबसे सरल मार्ग भक्ति मार्ग है और उसी का प्रचार प्रसार श्रीजीयर स्वामी जी कर रहे हैं।

दक्षिण भारत तमिलनाडु से ही पधारे स्वामी श्री अनन्ताचार्य बालक स्वामी जी ने कहा कि सेवा को अपनाकर सहज ही मोक्ष का भाजन हुआ जा सकता है।

स्वामी हरिप्रकाश जी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म के बिना शान्ति नहीं मिलती। प्रेम और भक्ति की बात सनातन धर्म ने सिखलाया।

स्वामी हरिओम प्रकाश जी महाराज ने कहा कि रामानुजीय परम्परा का सिद्धांत प्रत्येक मानव के लिये अनुकरणीय है।

स्वामी स्वरूपदास जी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म के संपोषक रामानुज स्वामी जी ने जो प्रपत्ति का मार्ग बतलाया वो ईश्वर को पाने का सबसे सरलतम मार्ग है।

इस्कॉन टेम्पल कोलकाता से आये श्रीसुभग बलरामदास जी ने कहा कि श्रीसम्प्रदाय में जो सेवा भाव है वो हर किसी को सीखना चाहिये। भक्तजन सेवा मात्र अपना कर के हम ईश्वर के प्रिय हो सकते हैं।

अयोध्या से आये जगद्गुरु रामानुजार्य रत्नेश प्रपन्नाचार्य जी ने कहा कि सनातन धर्म को कोई मिटा नहीं सका मिटाने वाले मिट गये। जिसे हम धारण करते हैं वो धर्म है। जैसे जल से शीतलता को, अग्नि से उष्णता को कोई अलग नहीं कर सकता वैसे भारत से कोई सनातन धर्म को अलग नहीं कर सकता।


काशी से आये जगद्गुरु रामानुजाचार्य डॉ पुण्डरीक शास्त्री जी ने कहा कि विशिष्टाद्वैत सम्प्रदाय के सिद्धांत को प्रत्येक मानव को आत्मसात् करना चाहिये।

काशी से आये जगद्गुरु मारुति किंकर जी महाराज ने कहा कि भारत का अर्थ है जहां के लोग ब्रह्म विद्या में रत रहते हों। भारत से धर्म को निकाल दिया जाये तो भारत प्राण रहित हो जायेगा।

सोनपुर बिहार से पधारे जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी ने कहा कि धर्म की रक्षा यदि हम करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करता है। धर्म न हो तो हम पशुतुल्य हो जायेंगे।

अयोध्या से पधारे जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्यामनारायणाचार्य ने कहा कि मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्य देवो भव जैसे उपदेशों को जीवन में अपनाना आवश्यक है। धर्म हमें संस्कार सिखाता है।

पुष्कर से पधारे जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि जितना आवश्यक जीने के लिये ऑक्सीजन है उतना ही सनातन धर्म भी है। जो इहलोक और परलोक दोनों को संवार दे वो सनातन धर्म है।

गोविन्दाचार्य जी ने कहा कि जीयर स्वामी जी जैसे संत जहां जाते हैं वो धरती तीर्थ हो जाती है।

अयोध्या से पधारे जगद्गुरु स्वामी श्री सूर्य नारायणाचार्य जी महाराज ने कहा कि समाज धर्म के बिना अनियंत्रित हो जाता है।धर्म जीवन को अनुशासित करता है। इसलिये धर्म संसद का आयोजन हमेशा होते रहना चाहिये।

मध्यप्रदेश से शशिधराचार्य जी ने कहा कि मानव धर्म ही सनातन धर्म है। हर जीव वैष्णव है क्योंकि हर कोई विष्णु का है।


पूर्व डीजीपी बिहार, जगद्गुरु रामानुजाचार्य गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि आज दुनिया में हर जगह लड़ाई चल रही है कहीं क्षेत्र को लेकर, कहीं धर्म को लेकर, कहीं मानव के किसी भेद को लेकर सनातन धर्म हमें प्रेम सिखाता है। दुनिया यदि सनातन धर्म अपना लें तो दुनिया मे शान्ति हो जायेगी।

मुंबई से पधारे स्वामी नारायण संप्रदाय से भक्तिप्रकाश दास जी, कच्छ गुजरात से सत्यप्रकाश दास जी, जगद्गुरु स्वामी श्री अयोध्यानाथ जी, श्री वैकुंठनाथ जी, श्रीचतुर्भुजाचार्य जी, श्रीमुक्तिनाथ जी, आरा से गिरिधर शास्त्री, श्रीउद्धव स्वामी, उदय नारायणाचार्य, वीरराघव जी महाराज, योगाचार्य जी, ब्रह्मदेवाचार्य जी, बलिया से कौशिक जी, वाराणसी से शिवपूजन शास्त्री, श्रीरामचंद्र बालव्यास जी, जगदीश तिवारी जी, शम्भू जी महाराज भोजपुरिया बाबा ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किये।

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