Vera C. Rubin: दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल कैमरे ने सोमवार को ब्रह्मांड की अपनी पहली तस्वीरें जारी कीं, जिसमें रंगीन नेबुला, तारे और आकाशगंगाएँ दिखाई गईं। ये तस्वीरें चिली के सेरो पचोन के ऊपर स्थित वेरा सी. रुबिन ऑब्जर्वेटरी द्वारा ली गई थीं। यह ऑब्जर्वेटरी अमेरिकी नेशनल साइंस फाउंडेशन और यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी के फंड से बनी है और अगले 10 साल तक दक्षिणी आकाश का अध्ययन करेगी। इससे ब्रह्मांड को समझने की क्षमता में काफी विस्तार हो सकता है। साथ ही वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर हमारे सोलर सिस्टम में कोई नौवां ग्रह मौजूद है तो ये पहले ही साल में उसे भी खोज लेगा।

इस ऐतिहासिक कैमरे ने जो पहली तस्वीरें भेजी हैं, उनमें ट्रिफिड नेबुला और लैगून नेबुला की अद्भुत फोटो शामिल हैं। गुलाबी और नारंगी रंगों में चमकते ये क्षेत्र हमारी मिल्की वे आकाशगंगा के हजारों प्रकाश वर्ष दूर स्थित हैं, जहां नए सितारों का निर्माण हो रहा है। यह तस्वीरें सात घंटे में 678 एक्सपोजर के जरिए ली गईं। इसके अलावा कैमरे ने विर्गो क्लस्टर (Vigro Cluster) की भी तस्वीर भेजी है, जिसमें अरबों आकाशगंगाएं दिखाई देती हैं। यह क्लस्टर आकार में हमारी मिल्की वे से करीब 100 अरब गुना बड़ा है। इस कैमरे का उद्देश्य सिर्फ कुछ तस्वीरें लेना नहीं, बल्कि पूरे ब्रह्मांड का मैप तैयार करना है। अगले 10 वर्षों तक यह कैमरा हर रात 1,000 तस्वीरें लेगा और करीब 20 अरब आकाशगंगाओं का कैटलॉग तैयार करेगा। यह प्रोजेक्ट अब तक का सबसे बड़ा, सबसे विस्तृत और उच्च गुणवत्ता वाला टाइम-लैप्स होगा, जिससे वैज्ञानिक ब्रह्मांड की हर छोटी-बड़ी गतिविधि को ट्रैक कर पाएंगे।

ऑब्जर्वेटरी का मुख्य हिस्सा है इसका लिगेसी सर्वे ऑफ स्पेस एंड टाइम (LSST) कैमरा, जो अब तक का सबसे बड़ा डिजिटल कैमरा है। इस कैमरे की लागत लगभग 4000 करोड़ रुपये है। इसे बनाने में 20 साल लगे। इसमें 3.2 गीगापिक्सल (3200 मेगापिक्सल) का कैमरा लगा है। यह हर तस्वीर में 15 मेगाबाइट डेटा कैप्चर करता है, जो हर रात 20 टेराबाइट डेटा उत्पन्न करता है। LSST कैमरा की तकनीकी विशेषताएं इसे खास बनाती हैं। यह कैमरा इतना शक्तिशाली है कि यह चंद्रमा पर गोल्फ की गेंद को भी देख सकता है।
